उत्तर प्रदेश के बरेली में 12 वर्षों तक पढ़ाई करने वाली अंशिका अक्सर अपनी साइकिल से स्कूल जाती थीं। वह कहती हैं, ‘मेरे इलाके की सड़क जर्जर होने के कारण साइकिल के पहिये हमेशा पंक्चर हो जाते थे।’
अब 21 वर्षीय अंशिका मुंबई के एक कॉलेज में पढ़ाई करती हैं और अभी भी वह अपने संसदीय क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास की गति से असंतुष्ट हैं और चाहती हैं कि सरकार कुछ और बेहतर करे। वह उन युवाओं की घटती आबादी का हिस्सा हैं जो मौजूदा चुनाव में मतदान करने वाली है। मतदान करने वाली आबादी का एक छोटा सा हिस्सा 18 से 29 वर्ष आयु वर्ग के बीच के युवाओं का है। यह 1970 के दशक की तुलना में भी कम है।
मतदान करने वाले 18 से 29 वर्ष के युवाओं की संख्या करीब 29.8 फीसदी है। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि यह साल 1971 के 28.5 फीसदी से कम है। साल 1977 से लेकर 2019 तक के चुनावों में यह 30 फीसदी से अधिक रहा है। हालांकि, युवाओं की संख्या बढ़ रही है। उनकी संख्या 30 करोड़ से अधिक है, जो अमेरिका की आबादी के करीब है।
उल्लेखनीय है कि यह केवल मतदान के लिए पात्र मतदाताओं के अनुपात को दर्शा रहा है न कि पंजीकृत मतदाताओं की वास्तविक संख्या को। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार आम चुनावों में मतदान करने वाले 18 से 19 वर्ष की आयु वाले करीब 2 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। लेकिन, पंजीकृत मतदाताओं में ऐसे युवा मतदाताओं की हिस्सेदारी 2014 के 2.7 फीसदी से कम होकर 2024 में 1.9 फीसदी रह गई है।
युवा मतदाताओं के सबसे कम उम्र का समूह (18 से 22 वर्ष) कुल मतदान आबादी का करीब 13 फीसदी है। हाल ही में रूस में हुए चुनावों में समान आयु वर्ग के मतदाता सिर्फ 6.5 फीसदी थे। यह ब्रिटेन और अमेरिका के मतदाताओं का 7 से 8 फीसदी होगा, जहां इस साल के अंत में दोनों देशों में चुनाव होने हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे भारत के पड़ोसी देशों में यह हिस्सेदारी अधिक थी।