UP Lok Sabha Elections 2024: अपने आखिरी पड़ाव पर आ पहुंचे लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सातवें चरण में जातियों की जटिल व्यूहरचना सभी के सामने मुश्किल पेश कर रही है। जहां 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में गैर यादव पिछड़ी जातियों की गोलबंदी ने भारतीय जनता पार्टी को इस चरण की सीटों पर बढ़त दिलाई थी वहीं इस बार विपक्षी इंडिया गठबंधन ने पिछड़ी जातियों में जबरदस्त सेंधमारी करते हुए मुश्किल हालात पैदा कर दिए हैं।
सातवें चरण में उत्तर प्रदेश की जिन 13 सीटों पर मतदान होना है उनमें वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, राबर्ट्सगंज, सलेमपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज और बांसगांव शामिल हैं। इनमें से वाराणसी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं।
सातवें चरण में लगभग सभी सीटों पर पिछड़ों और दलितों के मत निर्णायक हैं। इनमें राबर्ट्सगंज की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है तो बांसगांव अनुसूचित जाति के लिए। चंदौली, बलिया, गाजीपुर और देवरिया सीटों पर पिछड़ों में यादव मतदाता सर्वाधिक हैं तो सलेमपुर व कुशीनगर में कोइरी बिरादरी के खासे वोट हैं जबकि मिर्जापुर व महराजगंज में कुर्मी व निषाद मतदाताओं की अच्छी संख्या है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में पाई जाने वाली पिछड़ी जाति सैंथवार की भी अच्छी खासी संख्या कुशीनगर, देवरिया और सलेमपुर के साथ ही बांसगांव में है।
इस चरण में पांच सीटें यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले के आसपास की हैं तो चार सीटें पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र के सटी हुई हैं। भाजपा का मानना है कि इन दोनों शीर्ष नेताओं के भरोसे पार्टी इस चरण में कम से कम पहले जैसा या उससे भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। गोरखपुर, बांसगांव, महराजगंज, कुशीनगर और देवरिया योगी के प्रभाव क्षेत्र की सीटें हैं तो वाराणसी के साथ चंदौली, मिर्जापुर और बलिया सीटें मोदी के आभामंडल वाली हैं।
हालांकि 2019 में इसी चरण में दो सीटें चंदौली और बलिया में भाजपा बहुत कम मतों से जीत सकी थी जबकि गाजीपुर और घोसी गंवा दी थी। इस बार घोसी में NDA के घटक दल सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के टिकट पर ओमप्रकाश राजभर के बेटे मैदान में है तो मिर्जापुर से अपना दल की अनुप्रिया पटेल और राबर्ट्सगंज से इसी पार्टी की रिंकी कोल लड़ रही हैं।
सातवें चरण गाजीपुर, बलिया और घोसी सीटें अंसारी परिवार के प्रभाव क्षेत्र वाली कही जाती हैं। इनमें से गाजीपुर से खुद अफजाल अंसारी सांसद हैं और दोबारा सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। घोसी लोकसभा की एक सीट से अंसारी परिवार का एक बेटा तो दूसरा बलिया सीट की एक विधानसभा सीट से विधायक है। खुद मुख्तार घोसी विधानसभा सीट से पांच बार विधायक रह चुका था और अब उसका बेटा उमर वहां से विधायक है। जेल में सजा काटने के दौरान हुई माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इस पूरे इलाके में न केवल अल्पसंख्यकों बल्कि अन्य पिछड़ी जातियों में भी इस परिवार के प्रति सहानुभूति देखी गयी है।
पिछले लोकसभा चुनाव में इस चरण में दो सीटें घोसी व गाजीपुर मे जीत हासिल करने वाली बहुजन समाज पार्टी इस बार वोटकटवा की भूमिका में ज्यादा नजर आ रही है। कई सीटों पर बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में है वहीं एक कुशीनगर सीट पर राष्ट्रीय शोषित समाज दल के प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य लड़ाई में आने के प्रयासरत हैं। इंडिया गठबंधन ने इस चरण में तीन सीटों बांसगांव, देवरिया व महराजगंज कांग्रेस को दी हैं।
बलिया में इस बार भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट कर राज्यसभा सदस्य व चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को प्रत्याशी बनाया है। इस लोकसभा सीट पर सपा ने पिछला चुनाव बहुत कम वोटों से हारे सनातन पांडे को फिर से खड़ा किया है।
बलिया सीट पर तीन लाख ब्राह्मण तो ढाई लाख यादव मतदाता हैं जबकि मुस्लिम एक लाख के करीब हैं। इन सबकी गोलबंदी सपा प्रत्याशी के पक्ष में दिख रही है। वहीं ढाई लाख के करीब राजपूत मतदाता भाजपा के नीरज शेखर के पीछे मजबूती से खड़े हैं। माना जा रहा है बलिया सीट पर दो लाख से ज्यादा दलित मतों की भूमिका निर्णायक होगी। यहां बसपा ने लल्लन सिंह यादव को टिकट दिया है।