दो हजार बेड का अस्पताल, मेडिकल यूनिवर्सिटी, थीम पार्क, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, विशाल शिक्षण संस्थान और यहां तक कि हवाई पट्टी भी… तमाम आधुनिक सुख-सुविधाओं और बेहतरीन शैक्षिक वातावरण के साथ सैफई एक शानदार शहर जैसा लगता है, जिसकी बसावट और रहन-सहन बिल्कुल गांवों जैसा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव का यह पैतृक गांव मैनपुरी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को गर्व और रश्क दोनों का एहसास कराता है। मुलायम का गढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र से इस बार उनकी बहू डिंपल यादव मैदान में हैं, जहां 7 मई को वोट पड़ेंगे।
मैनपुरी में डिंपल का मुख्य मुकाबला भाजपा के जयवीर सिंह ठाकुर से माना जा रहा है, जो उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में पर्यटन मंत्री हैं। मैनपुरी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का गढ़ है। यहां करीब दस लाख मतदाता हैं, जिनमें यादवों की संख्या लगभग 4,25,000 है। दूसरी महत्त्वपूर्ण ओबीसी जाति शाक्य है, जिसकी आबादी 3,30,000 के आसपास है। क्षेत्र में ब्राह्मण, दलित और लोधी जातियों की भी अच्छी-खासी जनसंख्या है।
सैफई की कायापलट के गवाह रहे बुजुर्ग बच्चू यादव कहते हैं, ‘इस क्षेत्र में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या सबसे ज्यादा है, यही कारण है कि यह नेताजी (मुलायम सिंह) की राजनीति का गढ़ बन गया। विशाल जनसंख्या होने के बावजूद हमें संशाधनों में बराबर की हिस्सेदारी नहीं मिली। नेताजी के जमाने में तो सब जातियों का सम्मान होता था। विकास भी खूब हुआ। यहां भाजपा अपनी पैठ बनाने की पूरी कोशिश करती रही है, लेकिन उसे सफलता नहीं मिलती।’
पड़ोस के करहल कस्बे के रहने वाले लाल सिंह (30) सैफई स्थित उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूपीयूएमएस) के बाहर खान-पान की दुकान चलाते हैं। वह कहते हैं कि अब इस मेडिकल यूनिवर्सिटी में छात्र, फैकल्टी, डॉक्टर और अन्य पेशेवर आने शुरू हो गए हैं। यूनिवर्सिटी परिसर के रिहायशी कॉम्प्लेक्स में भीड़भाड़ बढ़ने लगी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही सैफई देश का उन्नत तकनीक से लैस सबसे बेहतरीन मेडिकल शहर बन जाएगा।
पिछले लोक सभा चुनाव में सपा को राज्य में पांच सीटें मिली थीं। इनमें मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और अखिलेश यादव ने आजमगढ़ को जीता था। डिंपल यादव को कन्नौज, मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव को बदायूं और राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को फिरोजाबाद से हार का सामना करना पड़ा था।
डिंपल यादव अपने ससुर मुलायम सिंह यादव के नाम पर वोट मांग रही हैं। भाजपा पर फूट और दबाव वाली राजनीति करने का आरोप लगाते हुए वह मतदाताओं से नेताजी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील कर रही हैं।
सपा जहां यादव परिवार के प्रभुत्व के साथ-साथ पिछड़े, दलित और आदिवासी (पीडीए) के विकास का नारा देकर मैनपुरी के मैदान को जीतने का प्रयास कर रही है, वहीं प्रतिद्वंद्वी भाजपा के जयवीर पीडीए को ‘परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी’ कहकर निशाना साध रहे हैं और इलाके की शाक्य व लोधी जैसी अन्य जातियों को यादवों के दबदबे वाले व्यवहार की याद दिला रहे हैं। वह प्रधानमंत्री के करिश्माई व्यक्तित्व पर भी लोगों का समर्थन मांग रहे हैं। बसपा ने यहां से शिव प्रसाद यादव को मैदान में उतार कर मुकाबले को रोचक बना दिया है।
मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद मैनपुरी में 2022 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज कर डिंपल यादव संसद पहुंची थीं। इस बार अखिलेश यादव कन्नौज से लड़ रहे हैं, जहां 13 मई को मतदान होगा। धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ का मोर्चा थमाया गया है, जहां 25 मई को वोट पड़ेंगे। इस बार बदायूं से शिवपाल के बेटे आदित्य मैदान में हैं।