2025 का साल भारतीय शेयर बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण रहा। वैश्विक और घरेलू स्तर पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जेफरीज के ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रेटेजी क्रिस्टोफर वुड ने पुनीत वाधवा से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि 2026 में भारत की प्रदर्शन क्षमता ज्यादा घरेलू कारकों पर नहीं, बल्कि वैश्विक एआई (Artificial Intelligence) ट्रेड पर निर्भर करेगी।
2025 में वैश्विक बाजारों का प्रदर्शन कैसा रहा?
क्रिस्टोफर वुड के अनुसार, 2025 में अमेरिकी बाजार में सबसे बड़ा फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और उससे जुड़े निवेश पर रहा। कुल मिलाकर अमेरिका का बाजार अच्छा रहा, लेकिन अन्य देशों की तुलना में कुछ पीछे रहा।
भारत का बाजार 2025 में कैसे रहा?
वुड ने कहा कि भारत का बाजार अपेक्षाकृत कमजोर रहा। उन्होंने यह उम्मीद नहीं की थी कि रुपया इतना कमजोर होगा। रुपये की कमजोरी ने भारत के शेयर बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित किया।
नीति निर्माताओं ने रुपये को गिरने क्यों दिया?
वुड ने माना कि यह स्पष्ट नहीं है कि रुपये की गिरावट नीति का हिस्सा है या अन्य कारणों से हो रही है। उनका मानना है कि 89 रुपये से ज्यादा गिरावट बाजार के लिए अस्थिरता पैदा कर सकती है।
2026 में भारत के बाजार का प्रदर्शन कैसा रहेगा?
वुड को उम्मीद है कि 2026 में भारत में आर्थिक गतिविधियों और कंपनियों की आय में सुधार होगा। आसान मौद्रिक नीति से यह संभव हो सकता है।
भारत के लिए मुख्य जोखिम क्या हैं?
उनके अनुसार, भारत का प्रदर्शन घरेलू कारणों से कम और वैश्विक AI ट्रेड पर ज्यादा निर्भर करेगा। अगर AI ट्रेड अगले साल भी तेजी से बढ़ता रहा, तो यह भारत के लिए नकारात्मक हो सकता है।
वैश्विक AI ट्रेड का भारत पर क्या असर हो सकता है?
वुड का कहना है कि साल के मध्य तक निवेशक देखेंगे कि वास्तविक रिटर्न कहां से आ रहे हैं। कोरिया, ताइवान और चीन जैसे देश AI ट्रेड में शामिल हैं, और उनका प्रदर्शन उभरते बाजारों की दिशा तय करेगा।
सेंसेक्स के 40 साल पूरे, क्या इसका महत्व घट गया है?
सेंसेक्स 40 साल का हो गया है, लेकिन लगता है कि अब इसकी लोकप्रियता पहले जैसी नहीं रही। इसके पीछे कई वजहें हैं। निफ्टी में 50 कंपनियां शामिल हैं, जबकि सेंसेक्स में सिर्फ 30। इसके अलावा, निफ्टी फ्यूचर्स से निवेशकों को बाजार की दिशा का जल्दी संकेत मिलता है। इस वजह से निफ्टी की प्रासंगिकता बढ़ गई है और लोगों की नजरें अब सेंसेक्स से ज्यादा निफ्टी पर रहती हैं।
क्या भारत में एआई या गोल्ड माइनिंग जैसी कंपनियों की कमी विदेशी निवेशकों के लिए नकारात्मक है?
दरअसल, विदेशी निवेशक भारत को एआई ट्रेड के जोखिम से बचने के लिए खरीद रहे हैं। ऐसे में भारत “रिवर्स एआई ट्रेड” बन गया है।
क्या यह ट्रेंड जारी रहेगा?
अगले साल इसके जोखिम बने रह सकते हैं। खासकर एआई-निर्भर बाजारों में निवेशकों को यह सवाल उठ सकता है कि असल में रिटर्न कहां से आएंगे। यही सबसे बड़ा जोखिम है।
क्या रुपया डॉलर के मुकाबले 100 तक पहुंच सकता है?
यह संभावना है, हालांकि पहले यह 89 तक गिरने की उम्मीद थी। अब इस पर भरोसा थोड़ा कमजोर हो गया है। अगर रुपया 100 तक पहुंच गया, तो यह भारत की कहानी के लिए अच्छा नहीं होगा। दिलचस्प बात यह है कि रियल रेट्स अभी भी पॉजिटिव हैं, इसलिए करेंसी की कमजोरी समझना थोड़ा मुश्किल है।
वर्तमान कमजोरी का मुख्य कारण क्या है?
हाल ही में भारतीय मुद्रा में कमजोरी देखने को मिली है। इसके पीछे मुख्य कारण निजी इक्विटी निवेशकों का बाहर निकलना और विदेशी निवेशकों की बिकवाली है। किसी न किसी समय विदेशी निवेशक यह महसूस करेंगे कि रुपया निचले स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे उन्हें शेयर खरीदने की प्रोत्साहना मिलेगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि भारतीय शेयर बाजार ने इस दौरान ज्यादा गिरावट नहीं देखी और ज्यादातर समय साइडवेज ट्रेड किया। वर्तमान में रुपया लगभग 89.5 के स्तर पर है, जबकि मनोवैज्ञानिक स्तर 90 माना जा रहा है।
पिछले साल 10-15% रिटर्न की उम्मीद जताई गई थी, क्या 2026 में भी ऐसा रिटर्न संभव है?
2025 में शेयर बाजार की परफॉर्मेंस लगभग इसी अनुमान के अनुरूप रही। अगर अगले साल कंपनियों की आय में सुधार आता है, तो सेंसेक्स अगले 10-15% तक बढ़ सकता है। इससे सेंसेक्स का स्तर करीब 1,00,000 तक पहुंच सकता है। हालांकि, इसके लिए आर्थिक वृद्धि और कंपनियों की मजबूत कमाई जरूरी होगी।
सोना और चांदी का रुझान कैसा रहेगा?
सोने के लिए आशावादी रुख रखा है, खासकर सोने में निवेश करने वाली कंपनियों के शेयरों के लिए। हाल ही में इसमें अच्छा लाभ हुआ है, लेकिन किसी भी समय इसमें मामूली गिरावट आ सकती है। भारत में घरेलू स्तर पर सोने की अच्छी खपत भी इसे मजबूत बनाती है।
निवेशकों के लिए अंतिम संदेश क्या है?
भारत अभी “रिवर्स AI ट्रेड” की स्थिति में है। मुख्य चिंता मुद्रा की स्थिति है, लेकिन अगर रुपया स्थिर होता है और आर्थिक विकास बेहतर होता है, तो भारत निवेशकों को अच्छे रिटर्न दे सकता है।