सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने कहा है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई तकनीक का उपयोग भारत में बढ़ने से सभी उद्योगों में नियमित नौकरियां खत्म होने की आशंका बढ़ गई है। मूर्ति ने सोमवार को कहा कि एआई जैसी उभरती तकनीक से काम-काज करने में सहूलियत भी आएगी और उनकी मदद से कंपनियों को कारोबार विस्तार करने में सुविधा होगी।
उन्होंने कहा कि ऐसी तकनीकों से करियर से जुड़ी संभावनाएं बेहतर हो सकती हैं और देश में रोजगार के अतिरिक्त अवसर भी पैदा हो सकते हैं मगर लोगों को इन तकनीकों में महारत हासिल कर स्वयं को काबिल बनाना होगा। मूर्ति ने कहा, ‘हम भारतीयों को यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि जब भी हम किसी नई तकनीक का उपयोग करते हैं तो कुछ नियमित नौकरी (नौकरियां) खत्म हो जाती हैं। मगर जब हम उन तकनीकों का उपयोग अपना काम-काज अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए करेंगे तब कारोबार भी बढ़ता जाएगा। लोगों की कार्य क्षमता में भी सुधार होगा।’
मूर्ति ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई के एक कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उनकी टिप्पणी एआई की अगुआई में स्वचालन के कारण इस चिंता के बीच आई है कि इससे कार्य बल की आवश्यकताएं कम हो सकती हैं और नौकरियां खत्म हो सकती हैं। उन्होंने कहा,‘बात यह है कि जो तकनीक हम प्रदान दे रहे हैं वह कंपनी को आगे बढ़ने में मदद करेगी और उससे कर्मचारियों के लिए भी संभावनाएं बेहतर होंगी। जब आप उक्त तकनीकी के इस्तेमाल में माहिर हो जाएंगे तो नौकरियों के अवसर भी बढ़ जाएंगे।’
मूर्ति ने एक उदाहरण के रूप में भारत के बैंकिंग क्षेत्र का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1980 के दशक से कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) के लिए तकनीक अपनाने से क्षेत्र का खूब विस्तार हुआ। उन्होंने कहा कि जब 1970 के दशक में ब्रिटेन में कोर बैंकिंग सिस्टम स्वचालित किया गया तो कर्मचारी संघों ने शुरू में इसका विरोध किया था। मगर शोधकर्ताओं, उद्योग और संघों के बीच लगातार बातचीत ने अंततः उन तक नई तकनीक का लाभ पहुंचने में मदद मिली। उन्होंने कहा, ‘कोर बैंकिंग गतिविधियों को स्वचालित कर कोई भी समय पर घर जा सकता है। इसके आने से पहले उन दिनों लोगों को रात 10 बजे तक भी खाना मयस्सर नहीं हो पाता था।’