आयकर विभाग ने करदाताओं के व्यक्तिगत खर्च के तरीके की जांच तेज कर दी है। इस मामले से जुड़े लोगों ने कहा कि कई ऐसे व्यक्तियों को नोटिस भेजा गया है, जिनकी आमदनी से निकाला गया धन उनकी जीवन शैली पर किए गए खर्च से मेल नहीं खाता है।
सत्यापन की चल रही कवायद के तहत कर अधिकारी घोषित आमदनी, बचत और व्यक्तिगत खपत के बीच विसंगतियों की पहचान करने वाले आंकड़ों के विश्लेषण के बाद संबंधित व्यक्तियों के घरेलू खर्च का ब्योरा मांग रहे हैं।
कुछ मामलों में करदाताओं से अपने परिवार के सदस्यों, उनकी आमदनी, पैन और विभिन्न मदों जैसे खाने, उपभोग की वस्तुओं, शिक्षा, बीमा, किराये, यात्रा और सामाजिक खर्चों के मासिक व्यय का ब्योरा देने को कहा गया है।
इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का जवाब इस खबर के प्रकाशन के समय तक नहीं मिला।
विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 142(1) के तहत नोटिस जारी किया है, जिसके तहत उसे मूल्यांकन कार्यवाही के दौरान जानकारी या दस्तावेज मांगने का अधिकार है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने संबंधित दस्तावेजों को देखा है। इसमें कर अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं दिए जाने की स्थिति में विभाग कर के मकसद से परिवार की निकासी को अधिक स्तर पर होने का अनुमान लगा सकता है।
विभाग ने कई ऐसे मामले भी चिह्नित किए हैं, जिसमें करदाताओं ने अचल संपत्तियां बेचीं और बिक्री से हुई आमदनी को सावधि जमा में लगा दिया। कर अधिकारी सावधि जमा के स्रोत और आयकर रिटर्न में इस तरह की एफडी राशि के खुलासे के बारे में जानकारी मांग रहे हैं।
मुंबई के वकील प्रकाश जोतवानी ने कहा, ‘एक सामान्य विसंगति नोटिस ऐसी स्थिति में मिलती है, जब करदाता एक संपत्ति बेचता है और नए घर में निवेश करने के पहले वह 2 साल के लिए सावधि जमा में उस धन को लगा देता है। ऐसे मामलों में एफडी का मूल्य रिटर्न में बताई गई आमदनी से मेल न खाने पर नोटिस भेजे गए हैं।’
कर विशेषज्ञों का कहना है कि करदाताओं के पास अभी भी अपनी फाइलिंग में किसी भी त्रुटि को सुधारने का समय है। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज के पार्टनर विवेक जालान के अनुसार, 31 दिसंबर, 2025 करदाताओं और कर पेशेवरों के लिए एक महत्त्वपूर्ण समय सीमा है और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल किया जा सकता है।
बहरहाल 31 दिसंबर, 2025 उन लोगों के लिए वित्त वर्ष 2025 के लिए विलंबित आयकर रिटर्न दाखिल करने की भी अंतिम तिथि है जिन्होंने रिटर्न दाखिल नहीं किया है। ऐसे रिटर्न आय के स्तर के आधार पर 1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक विलंब शुल्क देकर दाखिल किए जा सकते हैं।