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Year Ender: साल 2025 में इनकम टैक्स में हुए 10 बड़े बदलाव, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ा

साल 2025 में टैक्स स्लैब, TDS/TCS, ब्याज छूट और एडवांस टैक्स आदि में बड़े बदलाव हुए, जिससे आम टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस आसान और फाइनेंशियल प्लानिंग बेहतर हुई

Last Updated- December 23, 2025 | 9:02 PM IST
Income Tax
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

2025 का साल टैक्सपेयर्स के लिए कई मायनों में यादगार बन गया। जिस इनकम टैक्स को लेकर हर साल आम आदमी के मन में सबसे ज्यादा सवाल, तनाव और असमंजस रहता था, उसी टैक्स सिस्टम ने इस साल कुछ राहत भरी सांस लेने का मौका दिया। 2025 में सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए, जिनका असर सीधे सैलरी पाने वालों, मिडल क्लास परिवारों, सीनियर सिटीजन और विदेश पढ़ाई या निवेश से जुड़े लोगों पर पड़ा। कहीं टैक्स की सीमा बदली, कहीं नियमों की जटिलता घटी, तो कहीं कंप्लायंस का डर कम हुआ।

यह साल सिर्फ आंकड़ों और प्रावधानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने टैक्स को लेकर लोगों की सोच को थोड़ा सहज बनाने की कोशिश की। साल के अंत में जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो साफ नजर आता है कि 2025 ने इनकम टैक्स सिस्टम में कई ऐसे मोड़ दिए, जो आने वाले सालों की दिशा तय करेंगे। आइए, आज हम उन दस बड़े बदलावों पर नजर डालते हैं, जिन्होंने पूरे साल टैक्सपेयर्स की चर्चा में जगह बनाए रखी।

न्यू टैक्स स्लैब: ₹12 लाख तक कोई टैक्स नहीं

बजट में नई टैक्स स्कीम के तहत अब 12 लाख रुपये तक की कुल कमाई पर बिल्कुल टैक्स नहीं लगेगा। अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो 75 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़कर ये लिमिट 12 लाख 75 हजार तक पहुंच जाती है। ये कदम टैक्स का बोझ घटाने का सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है, खासकर मिडल क्लास के लिए। अब लोग अपनी कमाई का ज्यादा हिस्सा बचत या खर्च में लगा सकेंगे, बिना टैक्स की चिंता किए। इस बदलाव से करोड़ों लोगों को फायदा मिला।

अपडेटेड रिटर्न: अब 48 महीने तक कर सकते हैं फाइल

पहले अपडेटेड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR-U) फाइल करने की समय सीमा 24 महीने थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 48 महीने कर दिया गया है। मतलब, अगर रिटर्न में कोई गलती हो गई या अतिरिक्त कमाई जोड़नी है, तो चार साल तक सुधार का मौका मिलेगा। अगर अतिरिक्त टैक्स पहले भरा गया हो तो रिफंड का भी मौका मिलेगा। ये बदलाव उन लोगों के लिए बड़ा सहारा है जो जल्दबाजी में गलती कर बैठते हैं। अब टैक्सपेयर्स ज्यादा निश्चिंत होकर काम कर सकेंगे, क्योंकि पुरानी गलतियों को ठीक करने का ज्यादा वक्त मिलेगा।

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रेंट पर TDS थ्रेशोल्ड बढ़ा: ₹2.4 लाख से ₹6 लाख तक

रेंट पेमेंट पर TDS काटने की सीमा अब 2.4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है। इससे छोटे-मध्यम किराए पर TDS की झंझट कम हो जाएगी। पहले लोग छोटी रकम पर भी TDS काटने में उलझ जाते थे, लेकिन अब ये प्रक्रिया सरल हो गई है। किराएदारों और मकान मालिकों दोनों को फायदा मिलेगा, क्योंकि पेपरवर्क घटेगा। ये बदलाव रेंटल मार्केट को और पारदर्शी बनाएगा, बिना ज्यादा कंप्लायंस के बोझ के।

सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी पर डिडक्शन

अब अगर आपका अपना घर सेल्फ-ऑक्यूपाइड है या किसी वजह से खाली पड़ा है, तो उस पर आपको कोई काल्पनिक किराया दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पहले ऐसा माना जाता था कि खाली घर से भी किराया मिल रहा है और उसी आधार पर टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब ये झंझट खत्म हो गई है। खासकर उन लोगों के लिए ये बड़ी राहत है जो नौकरी के ट्रांसफर की वजह से अपना घर खाली छोड़ देते हैं, जैसे सरकारी कर्मचारी। अब टैक्स का हिसाब आसान होगा, बिना कमाई के टैक्स नहीं देना पड़ेगा और अनावश्यक बोझ से बचत होगी। इससे लोग प्रॉपर्टी रखने से भी नहीं हिचकेंगे और रियल एस्टेट सेक्टर को भी सपोर्ट मिलेगा।

60 साल से ऊपर वालों को ब्याज पर राहत

सीनियर सिटीजन के लिए बड़ी खुशखबरी। 60 साल से ज्यादा उम्र वालों को बैंक या पोस्ट ऑफिस से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट अब 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। इससे उनकी सालाना कमाई पर टैक्स का बोझ काफी कम होगा। रिटायर्ड लोग जो ब्याज पर निर्भर रहते हैं, उन्हें अब ज्यादा बचत का मौका मिलेगा। ये कदम बुजुर्गों की फाइनेंशियल सिक्योरिटी को मजबूत करेगा और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद करेगा।

LRS पर TCS नियम: थ्रेशोल्ड ₹7 लाख से ₹10 लाख तक

विदेश में पैसे भेजने (LRS) पर TCS की सीमा अब 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। साथ ही, पढ़ाई के लिए भेजे जाने वाले पैसे पर TCS बिल्कुल हटा दिया गया। इससे स्टूडेंट्स और उनके परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशी पढ़ाई महंगी है, ऐसे में ये बदलाव खर्च कम करेगा। अब लोग ज्यादा आसानी से विदेश ट्रांसफर कर सकेंगे, बिना एक्स्ट्रा टैक्स की फिक्र के।

TDS/TCS कंप्लायंस में राहत: देरी पर मुकदमा नहीं

अब TCS स्टेटमेंट देरी से जमा करने पर मुकदमा नहीं चलेगा, अगर टैक्स समय पर पे कर दिया गया हो। साथ ही, ऊंची TDS दर सिर्फ तब लगेगी जब पैन नंबर न हो। इससे कन्फ्यूजन और पेनाल्टी का खतरा कम होगा। टैक्सपेयर्स अब छोटी-मोटी देरियों से डरेंगे नहीं। ये बदलाव सिस्टम को यूजर-फ्रेंडली बनाएगा और कंप्लायंस को बढ़ावा देगा।

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नया इनकम टैक्स बिल

अगस्त 2025 में संसद ने नया इनकम टैक्स बिल पास किया, जो 1961 के पुराने कानून की जगह लेगा। ये बिल प्रक्रिया को डिजिटल, ट्रांसपेरेंट और आसान बनाएगा। इसमें NIL-TDS सर्टिफिकेट जैसे नए टूल्स होंगे, जो टैक्सपेयर्स की तैयारी में मदद करेंगे। अब फाइलिंग तेज और कम जटिल होगी। ये कदम मॉडर्न इंडिया के लिए फिट है, जहां टेक्नोलॉजी से टैक्स मैनेजमेंट आसान हो।

ITR डेडलाइन बढ़ी: नॉन-ऑडिट केस में 15 सितंबर तक

मई में CBDT ने नॉन-ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स के लिए ITR फाइल करने की डेडलाइन 15 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी। ये एक्सटेंशन सिस्टम अपग्रेड और यूजर की सुविधा के लिए दिया गया। अब लोगों को ज्यादा वक्त मिलेगा, बिना जल्दबाजी के। ये बदलाव उन करोड़ों लोगों को राहत देगा जो हर साल डेडलाइन से जूझते हैं।

एडवांस टैक्स पर ब्याज दर की गलतफहमी दूर

नए बिल के ड्राफ्ट में एडवांस टैक्स की कमी पर ब्याज दर 1% से 3% करने की गलतफहमी थी। लेकिन संसद और सरकार की सफाई के बाद ये तय हुआ कि दर 1% ही रहेगी। ये ड्राफ्ट की गलती थी, नियम में कोई बदलाव नहीं। अब टैक्सपेयर्स पुराने नियम से ही चल सकेंगे, बिना एक्स्ट्रा चिंता के। ये क्लैरिफिकेशन लाखों लोगों की दुविधा दूर करेगा।

इन तमाम बदलाव ने 2025 में इनकम टैक्स सिस्टम में एक नई दिशा दी। डिजिटल टूल्स, आसान कंप्लायंस और बढ़ी हुई छूटों ने टैक्सपेयर्स को डर और मुश्किलों से राहत दिलाई। मिडल क्लास, सीनियर सिटीजन और विदेश पढ़ाई या निवेश से जुड़े लोगों के लिए राहत के नए रास्ते खुले। समय सीमा बढ़ी, ब्याज दर और TDS के नियम स्पष्ट हुए, और पुराने कानून को रिप्लेस करने वाला नया बिल टैक्स मैनेजमेंट को स्मार्ट और ट्रांसपेरेंट बना रहा है। अब टैक्स सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सहज और नियंत्रित प्रक्रिया बन गई है, जिससे आम आदमी की तैयारी और बचत दोनों मजबूत हुई हैं।

First Published - December 23, 2025 | 9:02 PM IST

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