अमेरिका ने H-1B Visa सिस्टम में बड़े बदलावों की घोषणा की है। अब वीजा आवेदकों का चयन लॉटरी सिस्टम के बजाय अधिक वेतन और बेहतर कौशल वाले पेशेवरों को प्राथमिकता देने के आधार पर होगा। नया नियम 27 फरवरी, 2026 से लागू होगा। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने कहा कि पुराना लॉटरी सिस्टम दुरुपयोग का शिकार था और कंपनियां कम सैलरी पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त कर रही थीं। H-1B वीजा मुख्य रूप से तकनीकी कंपनियों में विशेषज्ञ कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इस्तेमाल होता है।
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इसी बीच, अमेरिका की एक फेडरल अदालत ने ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीजा पर $1 लाख की नई फीस लगाने का रास्ता साफ कर दिया है। जिला अदालत की न्यायाधीश बेरिल हॉवेल ने कहा कि राष्ट्रपति को इस फीस लगाने का कानूनी अधिकार है। US चेंबर ऑफ कॉमर्स ने इस फैसले के खिलाफ अपील की संभावना जताई है। चेंबर के उपाध्यक्ष ने कहा कि इतनी ऊंची फीस H-1B वीजा को महंगा और कंपनियों के लिए मुश्किल बना देगी।
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि फीस बढ़ाने से अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियां सुरक्षित रहेंगी और कंपनियां वीजा का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगी। हालांकि, 19 राज्यों के अटॉर्नी जनरल और एक वैश्विक नर्सिंग एजेंसी ने भी इस फीस के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं, उनका कहना है कि इसका असर स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने नए कदम का समर्थन किया और कहा कि अमेरिकी कंपनियों को सस्ते विदेशी श्रम की बजाय अमेरिकी श्रमिकों पर ध्यान देना चाहिए।
H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशी पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स को नौकरी देने का एक अहम जरिया है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां खास तरह की नौकरियों के लिए विदेशी कर्मचारियों को रख सकती हैं। सितंबर में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत H-1B वीजा की आवेदन फीस बढ़ा दी गई। ट्रंप का कहना था कि कुछ कंपनियां इस योजना का गलत इस्तेमाल कर रही हैं और इससे अमेरिकी लोगों की नौकरियां प्रभावित हो रही हैं।
मौजूदा व्यवस्था के अंतर्गत H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के जरिए दिए जाते हैं। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल टेक इंडस्ट्री में होता है। अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के मुताबिक Amazon, Tata Consultancy Services (TCS), Microsoft, Meta और Apple उन कंपनियों में शामिल हैं, जिनके पास सबसे ज्यादा H-1B वीजा वाले कर्मचारी हैं।
वीजा फीस बढ़ाने के खिलाफ अमेरिका की सबसे बड़ी कारोबारी संस्था यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अक्टूबर में सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया। चैंबर का कहना है कि वीजा फीस बढ़ाना कानून के खिलाफ है, क्योंकि इससे फेडरल इमिग्रेशन कानूनों का उल्लंघन होता है और सरकार अपनी तय सीमा से ज्यादा अधिकार इस्तेमाल कर रही है।
इस आदेश के खिलाफ 19 अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने भी अलग से केस किया है। उनका कहना है कि H-1B वीजा पर रोक या महंगाई से स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे सेक्टरों को नुकसान होगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में भी विदेशी प्रोफेशनल्स पर काफी निर्भरता है।
इसके अलावा एक अंतरराष्ट्रीय नर्स स्टाफिंग एजेंसी ने भी सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए अलग से केस दाखिल किया है। मामला किस अदालत में चल रहा है। यह केस चैम्बर ऑफ कॉमर्स बनाम यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्युरिटीज नाम से वॉशिंगटन डीसी की जिला अदालत में चल रहा है।
इनपुट: एजेंसियां