जैसे ही मंगलवार को चुनाव नतीजे आने शुरू हुए, नवीन पटनायक को अहसास हो गया था कि उन्हें दोतरफा हार का सामना करना पड़ सकता है। बीजू जनता दल (बीजद) ने 1997 में अपनी स्थापना के बाद पहली बार खुद की इतनी करारी हार देखी है। नवीन पटनायक की बीजद का एक भी सांसद नहीं चुना गया है।
ओडिशा के 24 साल तक मुख्यमंत्री रहे नवीन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। राज्य में शीर्ष पद पर अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई नेता शपथ लेगा। राज्य में भाजपा को बहुमत मिला है।
लोक सभा में बीजद का वोट शेयर भी पिछले चुनाव में प्राप्त 43.32 से गिर कर इस बार 37.53 पर आ गया है। पिछले चुनाव में पार्टी को 21 में से 12 सीटें मिली थीं, लेकिन इस चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। यही नहीं, वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में बीजद को रिकॉर्ड 20 सीट मिली थीं।
विधान सभा चुनाव में बीजद राज्य की 147 में से 51 सीट जीतने में कामयाब रही और उसका वोट शेयर 5 प्रतिशत गिरकर 40.22 प्रतिशत पर आ गया। इस प्रकार दोनों ही चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ। कभी दलितों की मजबूत आवाज रही यह पार्टी आज राज्य में अपना जनाधार गंवाती जा रही है।
वर्ष 2014 के प्रदर्शन के उलट इस चुनाव में पार्टी राज्य में अपना खाता भी नहीं खोल पाई और उसका वोट शेयर भी खिसक कर 9.39 फीसदी हो गया। वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर लड़ी बसपा को 10 सीट मिली थीं और उसे 19.42 प्रतिशत लोगों ने वोट दिये थे।
इसी प्रकार हरियाणा में नई बनी जननायक जनता पार्टी (जजपा) भी राज्य में सभी सीट हार गई। अधिकांश सीटों पर उसकी जमानत तक जब्त हो गई। इसी साल मार्च तक जजपा राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा थी।
पिछले चुनाव में भी उसे कोई सीट नहीं मिली थी, लेकिन उसका वोट शेयर 4.9 प्रतिशत था, लेकिन इस चुनाव में उसका वोट शेयर घट कर 0.87 प्रतिशत पर आ गया। तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति भी अपना खाता खोलने में नाकाम रही, जबकि 2014 के चुनाव में उसे 11 और 2019 में उसे 9 सीट मिली थीं।
पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस ने उसे विधान सभा चुनाव में हराकर राज्य की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक भी इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में नाकाम रही।
भाजपा नीत राजग गठबंधन से अलग होकर पहली बार मैदान में उतरी अन्नाद्रमुक को राज्य की 32 में से एक भी सीट नहीं मिली। अन्नाद्रमुक की सहयोगी डीएमडीके, एसडीपीआई और पुथिया तमिझगम को भी कोई सीट नहीं मिली। जे जयललिता की इस पार्टी ने वर्ष 2014 के आम चुनाव में राज्य की 37 सीट जीती थीं। वर्ष 2021 के विधान सभा चुनाव में पार्टी को 234 में से 66 सीट मिली थीं।