भारत के विनिर्माण पीएमआई में जुलाई में कुछ नरमी आई है। एक निजी एजेंसी के गुरुवार को जारी सर्वेक्षण के अनुसार नए ऑर्डर की मांग और आउटपुट में कम बढ़त के कारण विनिर्माण पीएमआई पर प्रतिकूल असर पड़ा। एचएसबीसी भारत विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) जुलाई में 58.1 पर आ गया जो कि जून में 58.3 पर था। इस सूचकांक का संकलन एसऐंडपी ग्लोबल ने किया है।
हालांकि यह सूचकांक जुलाई 2021 के बाद से ही लगातार 50 के अंक के स्तर के ऊपर बना हुआ है। इस सूचकांक के 50 से ऊपर रहने का मतलब वृदि्ध ही होती है और अगर सूचकांक 50 से नीचे हो तो ही यह माना जाएगा कि विनिर्माण में गिरावट आई है।
हालांकि भारतीय विनिर्माताओं की अंतरराष्ट्रीय बिक्री बीते 13 वर्षों में सबसे अधिक तेजी से बढ़ी। नौकरी का सृजन अच्छा रहा और अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री मूल्य में सर्वाधिक इजाफा हुआ। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘बढ़ती मांग की स्थिति ने विनिर्माण उद्योग में व्यापक प्रभाव पैदा किया, मुख्य रूप से नए रोजगार में पर्याप्त वृद्धि की वजह से। इसलिए जून की तुलना में सुस्ती के बावजूद ऐतिहासिक आंकड़ों में देखें तो बिक्री में तेजी से इजाफा हुआ है।’
एचएसबीसी की भारत की प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘जुलाई में भारत की विनिर्माण पीएमआई की वृद्धि में थोड़ी सुस्ती आई। हालांकि ज्यादातर घटक मजबूत बने हुए हैं और यह थोड़ी गिरावट कोई चिंता का कारण नहीं है।’
उन्होंने बताया, ‘नए निर्यात आर्डर बेहतर स्तर पर रहे। इसमें एक अंक का इजाफा हुआ और 2011 की शुरुआत की तुलना में यह दूसरे उच्चतम स्तर पर है। आउटपुट मूल्य सूचकांक में लगातार इजाफा हुआ है। यह इजाफा इनपुट और श्रम लागत बढ़ने के कारण हुआ। इससे अर्थव्यवस्था पर कुछ मुद्रास्फीतिजनक दबाव पड़ सकता है।’
सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में उत्पादन की मात्रा काफी बढ़ी थी लेकिन जून में इसमें वृद्धि कम हुई थी। विनिर्माण पीएमआई का सूचकांक मार्च 2005 के बाद से जारी होना शुरू हुआ और यह शुरुआत से अब तक के औसत की तुलना में करीब छह फीसदी ज्यादा है।