सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की जरूरतों को समझने के लिए केंद्रीय बजट 2025 के पहले भारतीय रिजर्व बैंक इन उद्योगों के कुछ संगठनों के साथ सोमवार को बैठक करने जा रहा है।
एमएसएमई संगठनों को भेजे गए एक ईमेल में रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी हैं। आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और तकनीकी उन्नयन में इनकी अहम भूमिका है। ऐसे में फैसला किया गया है कि एमएसएमई एसोसिएशनों के प्रमुखों के साथ बैठक की जाए, जिससे एमएसएमई की जरूरतों को आगे और समझा जा सके।’ बिजनेस स्टैंडर्ड ने इस ई-मेल को देखा है।
उद्योग के एक अधिकारी ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा कि इस बैठक में दो डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और स्वामीनाथन जे शामिल होंगे। अधिकारी ने कहा, ‘बजट के पहले वित्त मंत्रालय के पास विचार के लिए योजना को भेजने के पहले रिजर्व बैंक समझना चाहता है कि एमएसएमई के लिए कौन सी योजनाएं और पहल व्यावहारिक होंगे।’
खबर प्रकाशित होने तक इस सिलसिले में रिजर्व बैंक को भेजे गए ई-मेल का उचित जवाब नहीं मिल सका है। अधिकारी ने यह भी कहा कि इस बैठक में लघु उद्योग भारती, इंडिया एसएमई फोरम और एसोसिएशन ऑफ लेडी इंटरप्रेन्योर ऑफ इंडिया (एएलईएपी), बॉम्बे चैंबर्स एमएसएमई फोरम, कोयंबटूर डिस्ट्रिक्ट स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (सीओडीआईएसएसआईए) और फेडरेशन ऑफ स्माल ऐंड मीडियम इंडस्ट्रीज, पश्चिम बंगाल शामिल होंगे।
उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘यह बैठक एमएसएमई के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण लग रही है, क्योंकि रिजर्व बैंक हमारी बात सुनना चाहता है। इससे रिजर्व बैंक को जमीनी सूचना मिल सकेगी और उन्हें हमारी वास्तविक जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी।’
बुधवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चुनिंदा निजी क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशकों व मुख्य कार्याधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक के दौरान उन्होंने एमएसएमई को दिए जा रहे ऋण और नवोन्मेषी गतिविधियों में बैंकों की हिस्सेदारी पर भी चर्चा की थी।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने गुरुवार को खबर दी थी कि केंद्र सरकार आगामी बजट में एमएसएमई के लिए गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के वर्गीकरण की अवधि मौजूदा 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने पर विचार कर रही है, जिससे कि एमएसएमई को समर्थन मिल सके और कर्ज के पुनर्भुगतान की उनकी क्षमता में सुधार हो सके।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में बैंकों के उद्योग क्षेत्र को दिए गए कुल ऋण में एमएसएमई को दिए गए कर्ज की हिस्सेदारी महज 28 प्रतिशत है, जबकि 72 प्रतिशत कर्ज बड़े उद्योगों को दिया गया है। 2023 में एमएसएमई मंत्रालय ने राज्यसभा में दिए गए एक जबाव में कहा था कि रिजर्व बैंक द्वारा 2018 में गठित विशेषज्ञों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि ऋण का कुल मिलाकर अंतर 20 से 25 लाख करोड़ रुपये का है।