भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रिकॉर्ड लाभांश दिए जाने से चालू वित्त वर्ष के दौरान बॉन्ड कारोबारियों को सरकार की सकल उधारी में 1 लाख करोड़ रुपये की कमी आने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024 में सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये लाभांश देने को मंजूरी दी है, जो वित्त वर्ष 2023 में दिए गए लाभांश की तुलना में करीब 141 फीसदी ज्यादा है। इसके साथ ही आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया है, जो पहले 6 फीसदी था।
इसके साथ ही सरकार के बेंचमार्क बॉन्ड का यील्ड बुधवार को गिरकर 7 फीसदी के महत्त्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे चला गया। बेंचमार्क यील्ड 6.99 फीसदी पर बंद हुआ, जो मंगलवार को 7.04 फीसदी पर था। ज्यादातर कारोबारियों ने अनुमान लगाया था कि अधिशेष हस्तांतरण उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा। पिछले साल रिजर्व बैंक ने 87,416 करोड़ रुपये सरकार को अधिशेष के रूप में दिए थे।
चालू वित्त वर्ष के अंतरिम बजट में सरकार ने रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों के लाभांश से 1.02 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था। शेयरखान में रिसर्च एनॉलिस्ट राहुल मलानी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा दिया जाने वाला लाभांश 1.02 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान की तुलना में 107 फीसदी ज्यादा है और पिछले साल के 87,416 करोड़ रुपये लाभांश की तुलना में 142 फीसदी ज्यादा है।
इसकी वजह से वित्त वर्ष 2025 में सरकार की उधारी अनुमान से कम रह सकती है। अगर उधारी कम रहती है तो कम बॉन्ड यील्ड बाजार का सहयोग करेगा या सरकार अपना पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर विचार कर सकती है, जिससे वृद्धि को सहयोग मिलेगा। कुल मिलाकर धारणा के हिसाब से यह शेयर बाजार के लिए सकारात्मक प्रगति है।’
बॉन्ड बाजार के हिस्सेदार अब मौद्रिक नीति समिति की जून में होने वाली आगामी बैठक का इंतजार कर रहे हैं, जिससे नकदी को लेकर केंद्रीय बैंक के रुख का आकलन किया जा सके। करूर वैश्य बैंक के कोषागार प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘इसका एक पहलू यह है कि अगली पॉलिसी में रिजर्व बैंक नकदी और नकदी के रुख को लेकर किस तरह प्रबंधन करता है। अगर अगली पॉलिसी में समावेशन की वापसी का रुख जारी रहता है तो रिजर्व बैंक नकदी घटाने के लिए ओएमओ बिक्री और एफएक्स हस्तक्षेप जैसे अन्य साधनों का इस्तेमाल कर सकता है।’
ट्रेडर्स को अब उम्मीद है कि बेंचमार्क यील्ड जून के अंत तक गिरकर 6.75 फीसदी पर जा सकता है, क्योंकि जून की शुरुआत से जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने से विदेशी निवेश आवक का असर पड़ेगा।
ट्रेडर्स इस समय 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड जैसे ज्यादा लिक्विड बॉन्ड में निवेश करते रहे हैं। इससे पता चलता है कि अनिश्चितता को देखते हुए सावधानी बरती जा रही है। रिजर्व बैंक यील्ड का वक्र तेज करने के लिए बाईबैक और आपूर्ति कटौती जैसे कदम उठा रहा है, जो अभी करीब स्थिर है।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 22 मई से 26 जून की अवधि के लिए ट्रेजरी बिल का अद्यतन कैलेंडर जारी किया है, जिसमें इश्युएंस राशि में 60,000 करोड़ रुपये की कमी किया जाना शामिल है।