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महंगाई को 4 फीसदी पर लाने का लक्ष्य अभी दूर

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2024-25 के पहले 3 महीनों में महंगाई दर 4.6 प्रतिशत पर रहेगी।

Last Updated- December 20, 2023 | 10:26 PM IST
वास्तविक ब्याज दर रहनी चाहिए 1 से 2 प्रतिशत के बीच, The actual interest rate should remain between 1 to 2 percent

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत रीपो रेट में कमी की उम्मीद को फिलहाल धूमिल कर दिया है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि कई वजहों से महंगाई का जोखिम बना हुआ है और इसकी वजह से महंगाई दर अभी लक्ष्य से बहुत दूर है। केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर 4 प्रतिशत बनाए रखने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 2 प्रतिशत की घटबढ़ हो सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर और अक्टूबर 2023 महीनों में कम महंगाई दर रहने और मौद्रिक नीति के रुख में लंबे समय से ठहराव ने ‘एक अतार्किक दूरदर्शिता’ पैदा कर दी है कि महंगाई दर 4 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है। वहीं दूरगामी दृष्टिकोण से देखने पर पता चलता है कि निकट के हिसाब से खाद्य की कीमतों में अस्थिरता का जोखिम है, जिसके कारण महंगाई दर बढ़ने का खतरा बना हुआ है।

अगर समग्र रूप से खाद्य महंगाई स्थाई रूप से ऊंची हो जाती है और अन्य वस्तुओं की कीमत पर असर डालती है तो मौद्रिक नीति को इस पर प्रतिक्रिया देनी होगी। इसमें कहा गया है, ‘इन परिस्थितियों में केंद्रीय बैंक से दर में कटौती करने या कम से कम नीतिगत दर में नरमी के रास्ते पर चलने की मांग उठ रही है।’

महंगाई दर मौजूदा तिमाही में 5.6 प्रतिशत और 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने के रिजर्व बैंक के अनुमान का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के विचार महंगाई दर को लक्ष्य के मुताबिक टिकाऊ स्तर पर बनाए रखने को लेकर मौद्रिक नीति के संचालन को खतरे में डालते हैं।

रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2024-25 के पहले 3 महीनों में महंगाई दर 4.6 प्रतिशत पर रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘महंगाई दर को लक्ष्य पर टिकाए रखने का मकसद अभी आश्वासनों से बहुत दूर है।’

नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर 5.6 प्रतिशत बढ़ी है क्योंकि खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी रही। इससे सितंबर और अक्टूबर में मिली राहत धूमिल पड़ गई। लेकिन उम्म्द है कि 2024-25 की पहली तीन तिमाही में महंगाई दर घटकर 4.6 प्रतिशत पर आ जाएगी। इसमें कहा गया है कि घरेलू वित्तीय बाजारों को वास्तविक अर्थव्यवस्था की ताकत से उठाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य जोखिम आगे आने वाले महीनों में महंगाई को लेकर ही आ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जोखिमों में परिवारों की महंगाई की उम्मीदें न पूरी होना है। साथ ही कारोबारियों व ग्राहकों का महंगाई के परिदृश्य को भरोसा बहाल करना है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महंगाई दर ग्राहकों के विवेकाधीन खर्च को प्रभावित कर रहा है। इसकी वजह से विनिर्माण कंपनियों के शीर्ष स्तर पर वृद्धि और उनके पूंजीगत व्यय में ठहराव आ गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर महंगाई दर को लक्ष्य के भीतर नहीं लाया जाता है तो इससे वृद्धि दर पर असर पड़ने की आशंका है। अर्थव्यवस्था की ताकत और रुपये की स्थिरता को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार अधिभार के आधार पर रुपये की नॉमिनल वैल्यू 2022-23 के दौरान (अप्रैल से 8 दिसंबर 2023) 1.6 प्रतिशत बढ़ी है।

अगर महंगाई के अंतर को समायोजित कर दें तो रुपये में 4.5 प्रतिशत की तेजी रही है। इस अवधि के दौरान मुद्राओं के व्यापक सूचकांक की तुलना में अमेरिकी डॉलर 1.5 प्रतिशत मजबूत हुआ है।

First Published - December 20, 2023 | 10:23 PM IST

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