वर्तमान सरकार का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने जा रहा है। आगामी महीनों में आम चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होगा। ऐसे में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने अगली सरकार के लिए पांच साल का रोडमैप तैयार करना शुरू कर दिया है, जिसका मकसद भारत को साल 2047 तक विकसित देश बनाना है। रोडमैप के लिए वह प्रमुख सरकारी विभागों के सचिवों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि गौबा संभवत: 1 मई को पंचवर्षीय योजना के पहले मसौदे की समीक्षा करेंगे। इसमें कृषि, शिक्षा, कुशल रोजगार, बुनियादी ढांचा, व्यापार, पर्यटन, हरित अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। पंचवर्षीय योजना तैयार करने के लिए सचिवों के साथ पहली बैठक मार्च में हुई थी।
जानकार व्यक्ति ने बताया कि नई सरकार वित्त वर्ष 2025 के लिए पूर्ण बजट जुलाई में पेश कर सकती है और उसमें उल्लेखनीय बदलाव दिख सकते हैं। पूर्ण बजट में विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए शुरुआती कदम भी उठाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर मौजूदा सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में आती है तो पहले 100 दिनों की योजना भी पांच साल की योजना पर ही आधारित होगी।
जानकार व्यक्ति ने कहा, ‘सरकारी विभागों को प्रमुख लक्ष्यों की पहचान करने का काम सौंपा गया है। इसमें वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक के वार्षिक लक्ष्य शामिल होंगे। इसके लिए मंत्रालय और सरकारी विभाग उद्योग जगत के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
निर्धारित लक्ष्यों का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों द्वारा एक कार्य योजना भी तैयार की जा रही है। फिलहाल जिन लक्ष्यों पर काम किया जा रहा है, वे सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के ‘विकसित भारत @2047’ दृष्टि पत्र के अनुरूप हैं। यह लंबी अवधि की रणनीति है, जिसका उद्देश्य भारत को अगले 23 साल में 30 लाख करोड़ डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बनाना है।
यह दृष्टिकोण इस बात पर आधारित है कि भारत आजादी के बाद की अधिकतर समस्याओं से अगले दो वर्षों में सफलतापूर्वक निपट लेगा। इसके बाद उसे अलग तरह की चुनौतियों से निपटने की जरूरत होगी।
सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए 27 विषयों की रूपरेखा तैयार की है, जिसमें वृहद आर्थिक रणनीति, सर्वांगीणता, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण एवं किफायती स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती, भविष्य के लिए शिक्षा एवं कौशल, महिलाओं का नेतृत्व विकास, भविष्य के उद्योग, दुनिया के साथ व्यापार का एकीकरण, संतुलित क्षेत्रीय विकास, दुनिया के लिए स्टार्टअप व्यवस्था, दुर्लभ संसाधन एवं ऊर्जा, खनिज एवं पानी, कृषि एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था, विश्वबंधु- दुनिया में भारत की भूमिका, बदलावकारी शासन, प्रभावी न्याय व्यवस्था, सुरक्षित राष्ट्र और सुरक्षित समाज आदि शामिल हैं।