फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति (Inflation) चढ़ी है, इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की राय में मौद्रिक नीति का पूरा जोर जोखिम कम करने पर ही होना चाहिए ताकि मुद्रास्फीति को लक्ष्य के मुताबिक घटाकर 4 फीसदी पर लाया जा सके। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आज जारी अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने परिवारों के उपभोग खर्च का हवाला देते हुए यह भी कहा कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है मगर खाद्य कीमतों में थोड़ी-थोड़ी अवधि के लिए आने वाली तेजी मुख्य मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के लक्ष्य तक तेजी से नहीं गिरने दे रही है। रिपोर्ट आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र और अन्य कर्मचारियों ने तैयार की है।
इसमें कहा गया है, ‘महंगाई में गिरावट आ रही है। खाद्य कीमतें बार-बार नहीं चढ़तीं तो मुख्य मुद्रास्फीति लगातार घटती रहती और मुद्रास्फीति को घटाकर 4 फीसदी पर लाने का लक्ष्य ज्यादा जल्दी तथा तेजी से हासिल हो जाता।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें दिए विचार केंद्रीय बैंक का रुख नहीं दिखाते हैं।
रिपोर्ट कहती है, ‘जनवरी और फरवरी की खुदरा मुद्रास्फीति बताती है कि सर्दियों में सब्जियों के दाम में आई गिरावट बरकरार नहीं रही। अनाज महंगे ही हैं और मांस-मछली के दाम भी बढ़ गए हैं।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति में फरवरी के दौरान कुल मिलाकर तेजी आई है, जिससे पहले महंगाई कम रहने का असर खत्म हो गया। ऐसे में मौद्रिक नीति का रुख जोखिम को कम से कम करने की ओर ही रहना चाहिए ताकि वृद्धि की रफ्तार बनाए रखकर मुद्रास्फीति को लक्ष्य के मुताबिक नीचे लाया जा सके।
मांग की बात करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि तीसरी तिमाही में त्योहार होने के बावजूद अंतिम उपभोक्ता ने खर्च कम ही रखा। किंतु प्रति व्यक्ति आय बढ़ने के कारण प्रीमियम उपभोक्ता कारोबार में तेजी दिख रही है।
उसमें कहा गया, ‘घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में ड्यूरेबल्स और गैर-जरूरी उत्पादों पर प्रति व्यक्ति खर्च बढ़ा है। वास्तविक प्रति व्यक्ति आय भी सालाना 4 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़कर 2011-12 के मुकाबे 1.5 गुना हो गई है।’
लेकिन बाजार शोध का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि देसी FMCG क्षेत्र में अगले 6 महीनों में हल्की वृद्धि ही दिखने के आसार हैं। साथ ही अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में सरकार की अंतिम खपत भी कम रही।
रिपोर्ट में इसका कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कुल मांग मुख्य रूप से निवेश की बदौलत आई थी और निजी पूंजीगत व्यय का सिलसिला तेज हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार कई क्षेत्रों में क्षमता का इतना अधिक इस्तेमाल हो रहा है कि नए निवेश की जरूरत पड़ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी तक की सबसे अधिक लंबाई वाली चार लेन सड़कें चालू वित्त वर्ष में ही बनेंगी और 2037 तक देश में विश्व स्तरीय सड़क नेटवर्क तैयार हो जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर-दिसंबर 2023 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6 तिमाही की सबसे अधिक रफ्तार से बढ़ा। इसे आर्थिक गतिविधियों में तेजी, अप्रत्यक्ष कर संग्रह में इजाफे और सब्सिडी में कमी से दम मिला।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 8 फीसदी के करीब रहेगी जबकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने दूसरे अग्रिम अनुमान में 7.6 फीसदी की बात कही है।