मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने आज कहा कि जब तक खराब संपत्तियों की बिक्री पर बैंकों की ओर से भारी भरकम बट्टा खाता वसूलने के मुद्दे का समाधान नहीं हो जाता है, तब तक एक नए खराब बैंक के निर्माण से वित्तीय प्रणाली में मौजूद गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या का हल नहीं होगा।
वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की ओर से की जा रही हालिया कार्रवाई को लेकर मीडिया से बातचीत में सुब्रमण्यन ने यह भी कहा कि स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स की ओर से भारत की सॉवरिन रेटिंग को बरकरार रखना और स्थायी परिदृश्य बताया जाना एक अच्छी खबर है। खास तौर पर भारत के दृष्टिकोण से जो अपने सॉवरिन बॉन्डों को वैश्विक बॉन्ड सूचकांकों पर सूचीबद्ध कराना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे लिए उस राह पर आगे बढऩे के लिए रास्ता साफ करता है।’
सुब्रमण्यन ने कहा, ’28 परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियां परिचालन में हैं और उनका कार्य बैंकों से खराब कर्ज को लेकर खराब बैंक की तरह काम करना है। लेकिन एक महत्त्वपूर्ण बात जो ध्यान में रखनी चाहिए, वह यह कि जब बैंक खराब ऋणों की बिक्री करते हैं तो उसे एक बट्टा खाता लेना होता है। जब वह बट्टा खाता लेता है तो उसका असर उसके बही खाते पर पड़ता है। और यही उन महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है जिसने ऋणों की बिक्री को प्रभावित किया है। इसलिए, जब तक उस विशिष्ट पहलू का समाधान नहीं हो जाता तब तक समस्या के समाधान में एक नए ढांचे का निर्माण उतना लाभकारी नहीं हो सकता है।’
सुब्रमण्यन ने कहा कि फिच और एसऐंडपी ने जीडीपी वृद्धि की दर वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 9.5 फीसदी और 8.5 फीसदी रहने की बात कही है, और उन्होंने महामारी से पहले मोदी सरकार के प्रयासों को स्वीकार किया था।
एसऐंडपी ने बुधवार को न्यूनतम निवेश ग्रेड पर एक स्थायी परिदृश्य के साथ भारत की दीर्घावधि विदेशी और स्थानीय मुद्रा सॉवरिन पर अपनी रेटिंग की पुष्टि की। इसमें कहा गया कि देश की अर्थव्यवस्था ‘समान आय स्तर पर अपने समकक्षों के मुकाबले दीर्घावधि बेहतर प्रदर्शन वाला है।’
एसऐंडपी की रेटिंग मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज की ओर से भारत की रेटिंग एक पायदान कम किए जाने के बाद आई है। हालांकि, एसऐंडपी ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप के असर ने देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार के समक्ष एक महत्तवपूर्ण चुनौती पेश कर दी है। उसने कहा कि अगले वर्ष से केंद्र और राज्यों की आर्थिक वृद्धि और राजकोषीय स्थिति में सुधार होगा और उम्मीद जताई कि दीर्घावधि में सरकार की ओर से शुरू किए गए सुधारों के सकारात्मक परिणाम आएंगे।
सुब्रमण्यन ने कहा, ‘रेटिंग एजेंसियों ने ऋण की निरंतरता को लेकर भी बोला है और सामान्य सरकारी कर्ज-जीडीपी अनुपात के टिकाऊपन को लेकर अपनी उम्मीद जाहिर की है।’