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पहली तिमाही में राज्यों ने ली तय राशि की 84 प्रतिशत उधारी

2020-21 में महामारी के कारण आई गिरावट के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति तेजी से सुधरी है

Last Updated- June 29, 2023 | 10:55 PM IST
States borrow only 84% of notified amount in Q1
Business Standard

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी उधारी कम रखी है और 1.9 लाख करोड़ अधिसूचित राशि का 84 प्रतिशत उधार लिया है।

एक सरकारी बैंक से जुड़े डीलर ने कहा, ‘राज्य पूरी राशि नहीं ले रहे हैं क्योंकि वे केंद्र सरकार से सहायता पा रहे हैं।’ कुछ दिन पहले ही राज्यों को केंद्र सरकार से बुनियादी ढांचे के विकास के लिए धन मिला था।

केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में 16 राज्यों को अब तक दीर्घावधि पूंजी व्यय ऋण के रूप में 56,415 करोड़ रुपये देने को मंजूरी दी है। 2023-24 में पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना के तहत 50 साल के लिए ब्याजमुक्त ऋण दिया जा रहा है। इस मद में 2023-24 में 1.3 लाख करोड़ रुपये राज्यों को दिए जाने हैं।

येस बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पन ने कहा, ‘इस दौरान उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में उन्होंने सिर्फ 58 प्रतिशत उधारी ली, जबकि राज्यों की फंड की जरूरत निश्चित रूप से बढ़ी है।’

उन्होंने कहा, ‘सरकार 1.3 लाख करोड़ रुपये में से करीब 56,000 करोड़ रुपये राज्यों को और देगी, जिसका वादा केंद्रीय बजट में किया गया था। इसलिए पूंजीगत व्यय की जरूरतें पूरी करने के लिए राज्यों की धन की जरूरत कम हो गई है, जिससे राज्यों को मदद मिलेगी। यह धन डाला जाना एक वजह हो सकती है, जिसके कारण 16 प्रतिशत कम उधारी ली गई है।’

हालांकि 10 साल के एसडीएल (राज्य विकास ऋण) और 10 साल के सरकार के मानक बॉन्ड के प्रतिफल का प्रसार बढ़कर 34 से 35 आधार अंक पर है। डीलरों ने कहा कि दीर्घावधि निवेशक ज्यादा मुनाफे की वजह से केंद्र के बॉन्ड की जगह राज्यों के बॉन्ड का विकल्प चुन रहे हैं।

एक अन्य डीलर ने कहा कि प्रतिफल का प्रसार बहुत ज्यादा नहीं है, जो पहले 50 आधार अंक तक जा चुका है। ज्यादा प्रतिफल होने के कारण राज्यों के बॉन्ड की मांग है। उन्होंने कहा, ‘लोगों का राज्यों में भरोसा बढ़ रहा है। राज्यों का वित्तीय अनुशासन बढ़ा है और पंजाब के बाद से कोई चूक नहीं हुई है।’

2020-21 में महामारी के कारण आई गिरावट के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति तेजी से सुधरी है। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों का समेकित सकल राजकोषीय घाटा (जीएफडी) 2020-21 के जीडीपी के 4.1 प्रतिशत की तुलना में घटकर 2021-22 में 2.8 प्रतिशत पर आ गया और 2022-23 में भी यह इसी स्तर पर बना रहा। यह बजट में इस साल के लिए लगाए गए 3.4 प्रतिशत अनुमान की तुलना में बहुत कम है।

First Published - June 29, 2023 | 10:55 PM IST

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