facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

Russian crude oil: रूसी तेल जहाज भारत से बना रहे दूरी, पेमेंट संबंधी चिंताएं बनी वजह

चीन रूस को बचाने के लिए आगे आया, सोकोल तेल शिपमेंट को लेकर मदद कर रहा

Last Updated- January 02, 2024 | 3:17 PM IST
Crude Oil

भारत के तट से रूसी तेल जहाज अब पेमेंट संबंधी चिंताओं के कारण दूर जा रहे हैं। इससे हाल ही में उनकी आवक में कमी आई है।

रूस के दूर पूर्व (NS कमांडर, सखालिन द्वीप, क्रिम्सक, नेलिस और लाइटनी प्रॉस्पेक्ट) से सोकोल तेल ले जाने वाले पांच जहाज 7 से 10 समुद्री मील की रफ्तार से मलक्का जलडमरूमध्य (दो बड़े समुद्रों को मिलाने वाला सँकरा समुद्र खंड) की ओर बढ़ रहे हैं। एक अन्य जहाज, NS सेंचुरी, जो सोकोल तेल ले जा रहा है, अभी भी श्रीलंका के पास है।

केप्लर के एक प्रमुख कच्चे तेल विश्लेषक विक्टर कटोना के अनुसार, चीन अभी तक इस्तेमाल न किए गए सोकोल तेल शिपमेंट को लेकर मदद कर रहा है।

दिसंबर में, रूस से भारत का तेल आयात, जो यूक्रेन युद्ध के दौरान मॉस्को के लिए महत्वपूर्ण था, जनवरी 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। पेमेंट के मुद्दों के कारण भारतीय रिफाइनर्स को कोई भी सोकोल कार्गो नहीं मिल रहा है, जैसा कि केप्लर ने रिपोर्ट किया है।

अमेरिका और उसके सहयोगी रूसी कच्चे तेल के निर्यात पर 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा का उल्लंघन करने वालों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, जो 2022 के अंत में शुरू हुआ था। हाल ही में, एक सीनियर ट्रेजरी अधिकारी ने कहा कि इनफोर्समेंट को मजबूत किया जाएगा।

लगभग 700,000 बैरल ले जाने वाली एनएस सेंचुरी को पिछले साल अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था। चार अन्य जहाजों की क्षमता समान है, और पांचवां जहाज नेलिस दोगुनी कैपेसिटी संभाल सकता है । ये जहाज ज्यादातर रूस की राज्य समर्थित शिपिंग कंपनी, सोवकॉम्फ्लोट पीजेएससी के स्वामित्व में हैं। (ब्लूमबर्ग के इनपुट के साथ) 

First Published - January 2, 2024 | 3:17 PM IST

संबंधित पोस्ट