भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति घटने और वृद्धि दर में नरमी को देखते हुए आज रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर इसे 6.25 फीसदी कर दिया। इससे ब्याज दरें घटने की उम्मीद है। करीब 5 साल के बाद ब्याज दर में पहली बार कटौती की गई है। आरबीआई के इस कदम से कर्ज सस्ता हो सकता है और जमा पर ब्याज भी कम हो सकता है। मौद्रिक नीति समिति के सभी 6 सदस्यों ने रीपो दर घटाने और मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ बनाए रखने के पक्ष में मत दिया।
समग्र मुद्रास्फीति के 5 फीसदी से ऊपर रहने के बावजूद दर में कटौती की गई है। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपनी अध्यक्षता में हुई पहली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में कहा कि आगे मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी आई है और आगे इसके और कम होने की संभावना है। वृद्धि दर भी दूसरी तिमाही से बेहतर रहेगी मगर यह पिछले वित्त वर्ष से कम रहेगी।
मल्होत्रा ने कहा, ‘वृद्धि-मुद्रास्फीति की चाल से वृद्धि दर को गति देने की गुंजाइश बनी है। हालांकि ध्यान मुद्रास्फीति को कम करने पर बना रहेगा।’ उन्होंने कहा कि समिति ने नीतिगत रुख को तटस्थ रखा है क्योंकि उसका मानना है कि मौजूदा परिस्थिति में कम बंदिशों वाली मौद्रिक नीति ज्यादा उपयुक्त है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता और प्रतिकूल मौसम के साथ वैश्विक व्यापार नीतियों में अनिश्चितताएं वृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए जोखिम बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए रुख को तटस्थ बनाए रखा है। आरबीआई ने कहा कि आगे दर में कटौती वृद्धि तथा आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगी मगर बाजार को उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक आगे दर में और कटौती कर सकता है।