राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बुधवार को अधिकारियों से कहा कि वे तस्करी गिरोहों के सरगनों को पकड़ें, लेकिन वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामलों में बड़े व्यापारियों के खिलाफ नोटिस जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था के हित को भी ध्यान में रखें। अधिकारियों को संभावित वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामलों में शामिल व्यापारियों या व्यवसायों के खिलाफ कार्रवाई करते समय ‘‘ बेहद सतर्क’’ रहने की जरूरत होगी। राजस्व सचिव ने आयकर तथा सीमा शुल्क अधिकारियों से आग्रह किया वे कर नोटिस जारी करते समय राजस्व के हित से पहले अर्थव्यवस्था के हित को ध्यान में रखें।
बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 में माल के गलत वर्गीकरण तथा गलत घोषणा के जरिये 10,000 करोड़ रुपये मूल्य की शुल्क चोरी का पता लगा। राजस्व सचिव ने कहा कि कुछ वस्तुओं पर समूचे उद्योग में कुछ टैक्स डिमांड्स तथा वर्गीकरण विवाद तकनीकी प्रकृति के हो सकते हैं, जिसके कारण बहुत अधिक मांग नोटिस जारी किए जाते हैं।
मल्होत्रा ने कहा कि हम यहां केवल राजस्व के लिए नहीं हैं, हम यहां देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए हैं, इसलिए यदि थोड़ा सा राजस्व जुटाने की प्रक्रिया में हम पूरे उद्योग या देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो निश्चित रूप से यह हमारा इरादा नहीं होगा। राजस्व तभी आता है जब कुछ आय होती है, इसलिए हमें बहुत सतर्क रहना होगा ताकि हम इस प्रक्रिया में, जैसा कि कहा जाता है सोने की मुर्गी को न मार दें।
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) (Directrate of Revenue Intelligence) के 67वें स्थापना दिवस पर राजस्व सचिव मल्होत्रा ने कहा कि विभाग के लिए प्रौद्योगिकी बदलाव के अनुरूप कौशल तथा कार्यबल को उन्नत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सरगनाओं व आकाओं पर ध्यान केंद्रित करें और तस्करी गिरोहों का भंडाफोड़ करें।
राजस्व खुफिया निदेशालय भारत की सर्वोच्च तस्करी विरोधी एजेंसी है, जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन काम करती है। इसका काम प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी का पता लगाना और उसे रोकना है, जिसमें नशीली दवाओं की तस्करी और वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील वस्तुओं का अवैध अंतरराष्ट्रीय व्यापार शामिल है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार से संबंधित वाणिज्यिक धोखाधड़ी और सीमा शुल्क की चोरी का मुकाबला करना भी शामिल है।