क्रिप्टो परिसंपत्तियों और स्टेबलकॉइन्स के व्यापक इस्तेमाल से किसी देश की वृहद अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थायित्व पर असर पड़ सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सोमवार को प्रकाशित वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में यह बात कही गई है।
बैंकिंग नियामक ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों और स्टेबलकॉइन्स के व्यापक इस्तेमाल का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को रेखांकित किया है। बैंकिंग नियामक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष – वित्तीय स्थायित्व बोर्ड (आईएमएफ-एफएसबी) की क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए नीतियों पर आए विश्लेषण पत्र का हवाला देकर बताया कि क्रिप्टो परिसंपत्तियों के अधिक इस्तेमाल से मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता घटने, वित्तीय जोखिम बढ़ने, पूंजी प्रवाह प्रबंधन उपायों के बेअसर होने, वास्तविक अर्थव्यवस्था को धन मुहैया कराने के लिए तैयार संसाधनों के अन्यत्र उपयोग जैसे जोखिम के साथ ही पूरे वैश्विक वित्तीय स्थायित्व को खतरा पैदा हो सकता है।
स्टेबलकॉइन्स एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी होते हैं जिन्हें अमेरिकी डॉलर जैसे सरकार समर्थित मुद्रा (फिएट करेंसी) जैसी आरक्षित संपत्ति से जोड़कर एक स्थिर मूल्य बनाए रखने के लिए तैयार किया जाता है। रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘हालांकि क्रिप्टो परिसंपत्तियों के बाजार का आकार बेहद छोटा है। लेकिन इनकी निरंतर वृद्धि और पारंपरिक वित्तीय प्रणाली से बढ़ते विचलन के कारण प्रणालीगत जोखिम पैदा हो सकता है। स्टेबलकॉइन्स से भी ऐसे जोखिम होते हैं।’
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के इस माह पुन: राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद बिटकॉइन जैसी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति (वीडीए) का मूल्य नई ऊंचाइयों को छू गया। इस माह की शुरुआत में बिटकॉइन का मूल्य 1 लाख डॉलर के स्तर को पार कर गया और दो हफ्ते बाद 1,08,316 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। वर्ष 2024 में ही बिटकॉइन का मूल्य दो गुने से अधिक बढ़ गया है।