facebookmetapixel
Gold-Silver Outlook: सोना और चांदी ने 2025 में तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में आ सकती है और उछालYear Ender: 2025 में आईपीओ और SME फंडिंग ने तोड़े रिकॉर्ड, 103 कंपनियों ने जुटाए ₹1.75 लाख करोड़; QIP रहा नरम2025 में डेट म्युचुअल फंड्स की चुनिंदा कैटेगरी की मजबूत कमाई, मीडियम ड्यूरेशन फंड्स रहे सबसे आगेYear Ender 2025: सोने-चांदी में चमक मगर शेयर बाजार ने किया निराश, अब निवेशकों की नजर 2026 पर2025 में भारत आए कम विदेशी पर्यटक, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया वीजा-मुक्त नीतियों से आगे निकलेकहीं 2026 में अल-नीनो बिगाड़ न दे मॉनसून का मिजाज? खेती और आर्थिक वृद्धि पर असर की आशंकानए साल की पूर्व संध्या पर डिलिवरी कंपनियों ने बढ़ाए इंसेंटिव, गिग वर्कर्स की हड़ताल से बढ़ी हलचलबिज़नेस स्टैंडर्ड सीईओ सर्वेक्षण: कॉरपोरेट जगत को नए साल में दमदार वृद्धि की उम्मीद, भू-राजनीतिक जोखिम की चिंताआरबीआई की चेतावनी: वैश्विक बाजारों के झटकों से अल्पकालिक जोखिम, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूतसरकार ने वोडाफोन आइडिया को बड़ी राहत दी, ₹87,695 करोड़ के AGR बकाये पर रोक

नई दूरसंचार कंपनियों के लिए आसान नहीं होगा ऋण जुटाना

Last Updated- December 11, 2022 | 1:40 AM IST

अब दूरसंचार ऑपरेटरों को लाइसेंस या अधिाकर पत्र दिखाकर बैंकों से कर्ज लेने में परेशानी हो सकती है।
रिजर्व बैंक के नए आदेशों के अनुसार अथोराइजेशन, अधिकार पत्र और लाइसेंस अब नए कर्ज लेने में काम नहीं आएंगे। अभी तक मूर्त संपत्ति के रुप में मानते हुए बैंक इन्हें गारंटी के रुप में स्वीकार कर लेते थे। इसका बड़ा असर नई दूरसंचार कंपनियों पर पड़ सकता है।
एक बैंकर के अनुसार किसी खास तरह की बुनियादी ढांचा परियोजना में करीब आधा कर्ज प्रतिभूतियों, गारंटी और अन्य जमानतों के जरिए हासिल किया जाता था। इसमें से आधा हिस्सा दूरसंचार लाइसेंस को बतौर जमानत पेश कर हासिल किया जाता था। पर अब इस तरह उठाए गए कर्ज को असुरक्षित माना जाएगा और इसका जोखिम भी 125 प्रतिशत होगा। 
इससे बैंको की पूंजी पर्याप्तता पर दबाव बढ़ जाएगा क्योंकि उनको उन परियोजनाओं के लिए ज्यादा पैसे रखने होंगे जहां जमानत के रुप में अधिकार या आथोरिटी दी हुई है। बैंकरों का कहना है कि उदाहरण के लिए हाईवे निर्माण जैसी अन्य परियोजनाओं में कर्जदाता टोल से उगाही जाने वाली रकम पर शुल्क लगाते हैं।
बिजली परियोजनाओं के विकास के लिए इस्तेमाल जमीन को जमानत के तौर पर रखा जाता है। जबकि मशीनरी कर्जदाता के पास रखी होती है। मोबाइल सेवा परिचालन शुरू किए जाने के लिए सरकार ने दूरसंचार कंपनियों को लगभग 120 लाइसेंस दिए हैं। इनमें आधा दर्जन कं पनियां पूरे भारत में सेवाएं देने की संभावना तलाश रही हैं।
हरेक कंपनी को सेवा शुरू करने के लिए लगभग 10,000-15,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। मौजूदा कंपनियां भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए कर्ज जुटा रही हैं। अपनी विस्तार योजनाओं पर अमल करने के लिए कोष जुटाने वाली मौजूदा कंपनियों को पैसा देने से पहले ऋणदाता कॉलेटरल की कीमत के निर्धारण के लिए लाइसेंस की बाजार कीमत का आकलन करते हैं।
ऐसे में कंपनी के लिए अगर लाइसेंस की कीमत 500 करोड़ रुपये है तो यह उधार लेने वाले के लिए कॉलेटरल जरूरत कम करने के लिए हाल में जारी किए गए लाइसेंस की कीमत के एवज में रखा गया है। पूरे भारत में लाइसेंस की कीमत 1,651 करोड़ रुपये है जिसमें 4.4 मेगा हट्र्ज स्पैक्ट्रम मुफ्त होता है।

First Published - April 21, 2009 | 8:38 AM IST

संबंधित पोस्ट