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भारत को सीमा-पार लेनदेन को देखते हुए दोहरे कराधान से बचने संबंधी समझौतों (डीटीएए) को पिलर-2 के साथ सुसंगत बनाने के लिए कुछ समायोजन करना पड़ सकता है।

Last Updated- July 09, 2024 | 6:57 AM IST
Over 4,900 new MNCs opened in India, 1330 closed: Government

भारत बहुराष्ट्रीय उद्यमों पर वैश्विक न्यूनतम कर पर कानून का एक मसौदा तैयार कर रहा है जिसे 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले आम बजट में रखा जा सकता है। इससे देश में इन उद्यमों से संबंधित कर कानूनों में बदलाव किया जा सकता है। मामले से अवगत दो लोगों ने इसकी जानकारी दी।

वैश्विक न्यूनतम कर को पिलर-2 व्यवस्था के तौर पर भी जाना जाता है जिसका उद्देश्य बहुराष्ट्रीय उद्यमों को अपना मुनाफा कम कर वाले देशों में ले जाने से रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि वह जहां भी कमकाज करते हैं सभी देश में 15 फीसदी की प्रभावी कर की दर बनाए रखें।

यह बहुपक्षीय सम्मेलन के ढांचे के अनुरूप है, जिस पर आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के 140 सदस्यों ने सहमति जताई थी। भारत 2007 से ओईसीडी का प्रमुख भागीदार है। इसके साथ ही इसमें ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा, ‘कानून का मसौदा घरेलू कर कानूनों में संभावित बदलाव और सीमा पार लेनदेन पर मौजूदा कर समझौते को समायोजित करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।’

करीब 27 देशों ने अभी तक अपने देश के कानूनों में बदलाव लाकर इसे शामिल किया है। इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

घरेलू कानून में पिलर-2 को शामिल करने से अंतर समूह भुगतान जब 9 फीसदी से कम कॉर्पोरेट कर दर के दायरे में आता है तो भारत सहित विकासशील देशों को कर वापस लेने की अनुमति मिलेगी। इसलिए अनिवार्य रूप से 6 फीसदी अतिरिक्त कर का संग्रह कम कर वाले देशों पर निर्भर करता है।

इसे प्रभावी बनाने के लिए भारत को कर कानूनों में संशोधन करना पड़ सकता है ताकि क्वॉलिफाइड डोमेस्टिक मिनिमम टॉप अप टैक्स (क्यूडीएमएमटीटी), आय समावेशन नियम (आईआईआर) और अंडरटैक्स्ड प्रॉफिट रूल (यूटीपीआर) जैसे नियमों को शामिल किया जा सके और इस मसौदे पर हस्ताक्षर करने वालों के क्षेत्र में कर संग्रह के अधिकार का इस्तेमाल किया जा सके।

इसके अलावा भारत को सीमा-पार लेनदेन को देखते हुए दोहरे कराधान से बचने संबंधी समझौतों (डीटीएए) को पिलर-2 के साथ सुसंगत बनाने के लिए कुछ समायोजन करना पड़ सकता है।

उपरोक्त दोनों अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘जिस मसौदे पर काम किया जा रहा है वह बहुराष्ट्रीय उपक्रमों के लिए रिपोर्टिंग और अनुपालन व्यवस्था को लेकर एक व्यापक विचार प्रस्तुत करेगा और यह भी बताएगा कि विदेशी समकक्षों के साथ कैसे तालमेल किया जाएगा।’

डेलॉइट इंडिया के कर साझेदार रोहिंटन सिधवा ने कहा, ‘भारत को पिलर-2 के क्रियान्वयन के लिए स्थानीय कानून बनाने की जरूरत है। यह भारत में मुख्यालय वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों की रिपोर्टिंग की जरूरत को पूरा करने के लिए जरूरी है जो पिलर 2 के तहत आएंगी। इसके साथ ही भारत में कर राजस्व के बचाव के लिए क्यूडीएमटीटी कानून बनाना भी जरूरी है।’

अधिकारियों का मानना है कि वैश्विक न्यूनतम कर का कुल राजस्व पर असर इस बात पर निर्भर करेगा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसे किस प्रकार लागू करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह व्यवस्था राजस्व जुटाने पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं डालेगी।

First Published - July 8, 2024 | 10:50 PM IST

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