देश में बिजली की कमी (बिजली की जरूरत और आपूर्ति का अंतर) इस साल नवंबर में घटकर 0.2 फीसदी रह गई है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस साल अप्रैल में बिजली की कमी दो फीसदी थी। हालांकि, पिछले महीने की तुलना में नवंबर में बिजली की जरूरत और आपूर्ति का अंतर बढ़ा है। अक्टूबर में बिजली की कमी 0.1 फीसदी (12.4 करोड़ यूनिट) थी। नवंबर, 2021 में बिजली की कमी 0.2 फीसदी (23.3 करोड़) यूनिट रही थी।
नवंबर में बिजली की कमी घटकर 19.9 करोड़ यूनिट रह गई
आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अप्रैल में बिजली की कमी 275.2 करोड़ यूनिट थी, जो नवंबर में घटकर 19.9 करोड़ यूनिट रह गई। मई में बिजली की कमी 60.9 करोड़ यूनिट (0.4 फीसदी), जून में 79.6 करोड़ यूनिट (0.6 फीसदी), जुलाई में 43.4 करोड़ यूनिट (0.3 फीसदी), अगस्त में 46.5 करोड़ यूनिट (0.4 फीसदी) और सितंबर में 31.2 करोड़ यूनिट (0.2 फीसदी) थी।
2021-22 में बिजली की कमी 578.7 करोड़ यूनिट थी
चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह अप्रैल-नवंबर में बिजली की कमी बढ़कर 0.6 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले साल की समान अवधि में 0.4 फीसदी थी। इस अवधि में बिजली की कमी 569.1 करोड़ यूनिट रही, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 405.8 करोड़ यूनिट थी। पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में बिजली की कमी 578.7 करोड़ यूनिट या 0.4 फीसदी रही थी।
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केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने हाल में लोकसभा को एक लिखित जवाब में बताया था कि 215 गीगावॉट की अधिकतम बिजली की मांग की तुलना में 408.7 गीगावॉट की क्षमता स्थापित की जा चुकी है। 25,580 मेगावॉट की ताप बिजली क्षमता और 76,130 मेगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित के चरण में है।