कोविड काल और उससे एक साल पहले के समय को नजरअंदाज करें तो वित्त वर्ष 2023-24 में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर 21 साल में सबसे कम रहने का अनुमान है। इस दौरान 7.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
सिर्फ 2019-20 में जब अर्थव्यवस्था में बहुत ज्यादा गिरावट हुई और इसके बाद 2020-21 के कोविड वाले साल में ही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत से कम थी। गिनी कोफिसिएंट की अनुपस्थिति में प्रति व्यक्ति आमदनी को व्यापक तौर पर देश की संपन्नता का संकेतक माना जाता है।
पहले अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, इसके बावजूद ऐसी स्थिति है। इसके पहले शुरुआती अनुमान में 6.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जताई गई थी।
अनुमानों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आमदनी बढ़कर 2023-24 में 1,85,854 करोड़ रुपये होने की संभावना है, जो इसके पहले के साल में 1,72,276 रुपये थी।
2019-20 में प्रति व्यक्ति आमदनी की वृद्धि दर घटकर 5.1 प्रतिशत पर आ गई थी, जो उसके पहले के वित्त वर्ष में 9.3 प्रतिशत थी। 2020-21 में प्रति व्यक्ति आमदनी 4 प्रतिशत घटी थी, जब कोविड-19 की पहली लहर के कारण देशबंदी की गई थी।
इसके अलावा 21 साल के शेष वर्षों में प्रति व्यक्ति आमदनी में वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत से अधिक रही है। 2002-03 में प्रति व्यक्ति आमदनी की वृद्धि दर महज 6.2 प्रतिशत थी।
2002-03 के आंकड़े भी 2011-12 की नई श्रृंखला के मुताबिक हैं और यह सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई पुरानी श्रृंखला से लिया गया है।
2023-24 में प्रति व्यक्ति आमदनी की वृद्धि दर कम रहने की एक वजह कम जीडीपी डिफ्लेटर्स हैं। नॉमिनल जीडीपी वृद्धि भी गिरकर 8.9 प्रतिशत रह गई है, जो इसके पहले साल में 16.1 प्रतिशत थी। बजट में अनुमान लगाया गया था कि 2023-24 के दौरान नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 10.5 प्रतिशत रहेगी। यह भी उल्लेखनीय है कि प्रति व्यक्ति आमदनी मौजूदा भाव के मुताबिक है।
ज्यादातर जीडीपी डिप्लेटर्स थोक मूल्य से लिए गए हैं। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 2023-24 के ज्यादातर महीनों में दिसंबर तक शून्य से नीचे रही है। इसकी एक वजह कर्मचारियों की आमदनी को भी माना जा सकता है। प्रति व्यक्ति आय शुद्ध राष्ट्रीय आय (NNI) पर आधारित है।
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में प्रति व्यक्ति आमदनी में न्यूनतम वृद्धि दर (कोविड और आसपास के साल को छोड़कर) की मुख्य वजह शुद्ध राष्ट्रीय आय में कम वृद्धि है।
उन्होंने कहा, ‘थोक महंगाई दर नीचे रहने के कारण ऐसा हुआ, जो ज्यादातर महीनों में शून्य से नीचे रही है। यह महंगाई दर घटने के सकारात्मक संकेत का नकारात्मक असर है। अन्यथा जीडीपी में वास्तविक वृद्धि 7.3 प्रतिशत रही है, जो बेहतर आंकड़ा है।’
अगर अंतरराष्ट्रीय तुलना करें तो मौजूदा भाव पर प्रति व्यक्ति जीडीपी वृद्धि देखी जाती है। इस हिसाब से भी प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में गिरकर 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष में 14.9 प्रतिशत थी।