एथनॉल बनाने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से चावल मिलना बंद होने की खबर है। एथनॉल बनाने वाली डिस्टिलरियों ने यह शिकायत करते हुए बताया कि पिछले एक हफ्ते से उन्हें चावल नहीं मिल रहा है। इससे ईंधन में एथनॉल मिलाने का देश का महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम लड़खड़ा सकता है।
चावल की आपूर्ति रुकने से देश में करीब 100 डिस्टिलरियों का एथनॉल उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इन डिस्टिलरियों में एथनॉल बनाने के लिए चावल का इस्तेमाल होता है, जो एफसीआई से ही आता है। वे चावल को स्टार्च में बदलती हैं, जिससे एथनॉल तैयार किया जाता है।
उद्योग भागीदारों ने बताया कि कुछ डिस्टिलरी दो तरह का कच्चा माल इस्तेमाल करती हैं। चीनी के सीजन में गन्ने से एथनॉल बनाया जाता है और साल के बाकी महीनों में अनाज का इस्तेमाल होता है। मगर उन पर भी असर पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक एफसीआई ने आधिकारिक तौर पर इस निर्णय के पीछे का कारण नहीं बताया मगर माना यही जा रहा है कि अनाज की बढ़ती कीमतों और 2023-24 फसल वर्ष में कम बारिश और उसके बाद बाढ़ के कारण धान की उपज कम रहने की आशंका में ही ऐसा किया गया है। पिछले सप्ताह निर्यात पर प्रतिबंध भी इन्हीं दो कारणों से लगाया गया है।
संपर्क करने पर एफसीआई के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी निर्देश की जानकारी नहीं है। इन मामलों को देखने वाले एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर मीडिया से बात करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया गया है।
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बिज़नेस स्टैंडर्ड के पास एफसीआई का वह पत्र है, जिसमें उसने अपने मंडल प्रमुखों को एथनॉल मिश्रम के लिए डिस्टिलरियों को चावल नहीं बेचने और जमा की गई रकम वापस करने का निर्देश दिया गया है। पत्र में कहा गया है कि डिस्टिलरियों से रकम मिलने के बाद भी यदि अभी तक चावल भेजा नहीं गया है तो उसे फौरन रोक दिया जाए।
एफसीआई एथनॉल उत्पादकों को 20 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर चावल बेचता है, जो खुले बाजार में बिक्री के 31 रुपये प्रति किलो के भाव से काफी कम है। एथनॉल मिलाने के लिए एफसीआई से सलाना करीब 15 लाख टन चावल की जरूरत होती है।
ऑल इंडिया डिस्टिलर्स एसोसिएशन के महानिदेशक वीके रैना ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘एफसीआई से चावल की आपूर्ति अचानक बंद हो गई तो अनाज से एथनॉल बनाने वाली करीब 100 डिस्टिलरी इकाइयां बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगी। जिनके पास थोड़ा चावल पड़ा है, वे कुछ दिन चलेंगी मगर आखिर में उन्हें भी रुकना ही पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि एसोसिएशन अपने सदस्यों के साथ एफसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने और हालात के बारे में बताने की सोच रहा है।
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उद्योग सूत्रों ने बताया कि 2022-23 का एथनॉल वर्ष अक्टूबर में खत्म होगा। उसमें तेल मार्केटिंग कंपनियों से 5.54 अरब लीटर एथनॉल आपूर्ति का ठेका लिया जा चुका है। इसमें से करीब 3.52 अरब लीटर पहले ही भेजा चुका है, जिसके कारण पेट्रोल में 12 के बजाय 11.75 फीसदी एथनॉल मिलाया गया है। ठेके की पूरी मात्रा में से करीब 3.90 अरब लीटर (लगभग 70.39 फीसदी) गन्ने से मिलेगा। बाकी 1.63 अरब लीटर अनाज से बनेगा, जिसमें ज्यादातर एफसीआई के चावल पर ही निर्भर रहेगा। चावल से बना करीब 0.66 अरब लीटर एथेनॉल तेल कंपनियों को दिया जा चुका है। मगर एफसीआई से चावल नहीं मिला तो 50-60 करोड़ लीटर एथनॉल कम रह सकता है।