वाणिज्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिका द्वारा लगाए गए सुरक्षा शुल्क के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई के इरादे से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को अवगत कराना प्रक्रिया से जुड़ा कदम है और इसका मकसद जवाबी कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखना है।
अधिकारी ने नाम न सार्वजनिक करने की शर्त पर कहा, ‘हमने 12 मई को अधिसूचना दाखिल की है, क्योंकि इस तारीख को 30 दिन की अंतिम तिथि बीत रही थी। भारत ने 11 अप्रैल को इस मसले पर डब्ल्यूटीओ में अमेरिका के साथ परामर्श का अनुरोध किया था। अन्य देशों जैसे ब्रिटेन (9 मई) और जापान (12 मई) ने भी इस मसले पर डब्ल्यूटीओ में अपनी अधिसूचनाएं दाखिल की हैं। हम अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बातचीत करने में लगे हुए हैं, ऐसे में जवाबी शुल्क लगाने की कोई अनिवार्यता नहीं है।’
भारत ने मंगलवार को डब्ल्यूटीओ को सूचित किया था कि अमेरिका द्वारा सुरक्षा शुल्क लगाए जाने से भारत द्वारा अमेरिका को किया जाने वाला 7.6 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा, जिस पर अमेरिका का शुल्क संग्रह 1.91 अरब डॉलर होगा।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘इसी के मुताबिक भारत की रियायतों के निलंबन के बाद अमेरिका के उत्पादों पर भी समान शुल्क वसूला जाएगा।’
भारत ने जून 2019 में अमेरिका के 28 उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया था, जिसमें बादाम और सेब से लेकर रसायन तक शामिल हैं। उसके पहले अमेरिका ने भारत को अपने जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) से हटा दिया था और स्टील व एल्युमीनियम पर शुल्क जारी रखा था। इस कार्रवाई से करीब 24 करोड़ डॉलर के व्यापार पर असर हुआ था और यह भारत की ओर से डब्ल्यूटीओ द्वारा स्वीकृत प्रतिरोध का पहला कदम था। यह शुल्क सितंबर 2023 में हटा लिया गया, जब दोनों देशों ने डब्ल्यूटीओ में चल रहे 6 विवादों को खत्म करने का फैसला किया था, जिनमें से एक विवाद यह भी था।
दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अब ज्यादा कुछ अमेरिका की प्रतिक्रिया पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘भारत का कदम व्यापक बदलाव को दिखाता है। यह अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए वैश्विक व्यापार नियमों के अंतर्गत खुद को स्थापित करने की इच्छा प्रकट करता है।