New BOT rules: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने अपने निजीकृत राजमार्ग निर्माण मॉडल बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) में आमूल-चूल बदलाव करने का प्रस्ताव किया है। इसका मकसद ज्यादा निजी डेवलपरों को आकर्षित करना है। इसमें ठेके को समाप्त करने और सड़क पर यातायात की मात्रा से जुड़े नियमों में बदलाव शामिल है।
प्रस्तावित संशोधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए समझौते को समाप्त करने से संबंधित भुगतान का निर्धारण, वास्तविक यातायात पर आधारित कंसेशन की अवधि (पीसीयू) में संशोधन बनाम वाहनों के टोलिंग समूह के आधार और डिजाइन क्षमता से अधिक वास्तविक यातायात पर फिर से विचार किया जाना शामिल है।
इसमें देरी की स्थिति में एनएचएआई की ओर से मुआवजे के भुगतान का प्रस्ताव भी शामिल है। नए प्रस्ताव में अप्रत्याशित स्थिति में परियोजना पूरी होने के पहले भुगतान समाप्त करने की परिभाषा के साथ अतिरिक्त टोलवे/ समानांतर सड़क के मामले में बाईबैक का नया प्रावधान भी होगा।
अनुमान के मुताबिक राजमार्ग संबंधी बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए दीर्घावधि के हिसाब से 45 लाख करोड़ रुपये के करीब की जरूरत होगी। अधिकारियों ने कहा कि यह मांग पूरी करने में केंद्र सरकार अकेले सक्षम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि अब लंबे समय से अटके सुधारों पर जोर देने की जरूरत है।
अपने प्रस्तावित बदलावों में एनएचएआई बीओटी परियोजनाओं को लेकर राजमार्ग क्षेत्र की चिंताएं कम करने पर विचार कर रही है। इसमें मंत्रालय के ‘शून्य पंचाट’ के लक्ष्य के मुताबिक परियोजना रद्द करने से संबंधित नियम सरल करना शामिल है।
अगर बीओटी परियोजना निर्माण के दौरान कॉन्ट्रैक्टर या एनसीएलटी की कार्यवाही के कारण बंद कर दी जाती है तो देय कर्ज का 90 प्रतिशत (बीमा कवर और किए गए कार्य का मूल्य जो भी कम हो, को काटकर) भुगतान किया जाएगा।
देश के एक प्रमुख हाइवे ऑपरेटरों में से एक से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर बदलाव किया जाता है (जैसा कि विभिन्न मंत्रालयों के बीच परामर्श के दौरान प्रस्ताव किया गया था) तो यह बहुत आकर्षक प्रस्ताव होने जा रहा है। वे पहले के व्यवधानों से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।’
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को परियोजनाओं के लिए कर्ज देने को लेकर जरूरी राहत मिलेगी।
इसके अलावा, इसमें कंसेसनायर को ज्यादा स्वायत्तता देने का भी प्रस्ताव है। इसमें अनुमानित राजस्व की तुलना में 120 प्रतिशत से अधिक यातायात की मात्रा आने पर अतिरिक्त राजस्व दिया जाना और कानून में बदलाव पर डेवलपरों को ज्यादा छूट देना शामिल है।