भारत के शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान गिरकर 2.99 अरब डॉलर रहा। यह अप्रैल-अगस्त 2022 के दौरान वैश्विक निवेश तेजी से बढ़ने और देश में विदेशी मुद्रा वापस आने के कारण 18.03 अरब डॉलर रहा था। दरअसल, देश में आने वाले निवेश में से विदेश में होने वाले निवेश को घटाने पर शुद्ध एफडीआई प्राप्त होता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों (अक्टूबर, 2023 की बुलेटिन) के अनुसार अप्रैल से अगस्त 2023 के दौरान भारत में एफडीआई 7.28 अरब डॉलर हुआ था जबकि भारत से विदेश में होने वाला एफडीआई निवेश 4.28 अरब डॉलर था। हालांकि अप्रैल 2022 में भारत को 22.79 अरब डॉलर एफडीआई मिला था जबकि भारत से विदेश में होने वाला एफडीआई 4.76 अरब डॉलर था।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) के पांच महीनों अप्रैल-अगस्त के दौरान भारत में होने वाला प्रत्यक्ष निवेश बढ़कर 19.63 अरब डॉलर हो गया जबकि यह अप्रैल-अगस्त 2022 में में 11.41 अरब डॉलर था। इस वित्त वर्ष में भारत में निवेश बढ़ने का कारण भारत में धन का वापस आना/विनिवेश था।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति रिपोर्ट के साथ मौद्रिक नीति की समीक्षा (अक्टूबर, 2023) में कहा था कि वह आने वाले समय में अमेरिका में ब्याज दर की ‘दीर्घावधि की उच्च’ देख रहा था। इस क्रम में अन्य एई की ईएमई परिसंपत्तियों के प्रति जोखिम बढ़ सकता है। इनसे पूंजी प्रवाह प्रभावित हो सकता है। अभी वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कम हो रहा है।
उच्च ब्याज दरों के कारण पूंजी बाजार में गतिविधियां धीमी होने से वैश्विक स्तर पर विलय और अधिग्रहण की गतिविधियां 10 वर्ष के निचले स्तर पर हैं। इसका वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के चक्र पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इस क्रम में आरबीआई की अर्थव्यवस्था की स्थिति की रिपोर्ट (19 अक्टूबर, 2023 को जारी) ने भी सुस्ती आने के बारे में कहा था।