विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-13) में 164 देशों के वाणिज्य मंत्री बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक अगले सप्ताह अबूधाबी में होगी, जिसमें वैश्विक कारोबार से जुड़े प्रमुख मसलों का समाधान निकालने की कवायद की जाएगी। इस बैठक में मछली के भंडार की रक्षा, कृषि खाद्य सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक लेन देन पर सीमा शुल्क की अस्थायी अनुपस्थिति सहित विवाद समाधान को लेकर डब्ल्यूटीओ के नियमों में सुधार प्राथमिकता पर हैं। 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक 26 से 29 फरवरी तक चलेगी। बिजनेस स्टैंडर्ड ने प्रमुख मसलों और उन पर भारत के रुख की पड़ताल की है।
मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में सार्वजनिक भंडारण के मसले के स्थायी समाधान को लेकर लंबे समय से चल रही मांग भारत की प्राथमिकता पर है। इस प्रावधान का उद्देश्य विकासशील देशों को तथाकथित सब्सिडी पर कानूनी चुनौती से बचाना था। अपने सार्वजनिक भंडारण की योजना के तहत भारत सरकार पहले से तय कीमत पर अनाज खरीदती है और उसके बाद सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी देती है।
सरकार खाद्य सुरक्षा और लाखों लोगों को भूख से बचाने के लिए इस नीति को अपना रही है। भारत की इस नीति को अफ्रीका सहित विकासशील देशों का समर्थन मिल रहा है। हालांकि विकसित देशों का विचार है कि किसानों को सब्सिडी देने से व्यापार प्रभावित हो रहा है।
इसका स्थायी समाधान जरूरी है क्योंकि कुछ देश भारत के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजना पर सवाल उठाते रहे हैं, जो अनाज खासकर चावल पर दिया जा रहा है।
2022 मे हुए इसके पहले के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने अवैध, बगैर सूचना के और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने पर सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी को रोकने के लिए एक समझौता किया था, जिसे विश्व में मछली के भंडार में कमी के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
एमसी-13 में इस मत्स्य सब्सिडी के समझौते में संशोधन प्राथमिकता पर है। इसे स्वीकार करने के लिए डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों में से दो तिहाई के समर्थन की जरूरत होगी। इसके अलावा सब्सिडी की वजह से बहुत ज्यादा मझली पकड़ने पर भी चर्चा होनी है।
भारत अपने तर्क पर कायम रहेगा कि उसके द्वारा दी जा रही सब्सिडी विकसित देशों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है। साथ ही भारत अपने गरीब मछुआरों को दी जा रही मदद को खत्म करने के किसी भी कदम का भी विरोध करेगा। भारत का मानना है कि विकासशील देशों को अपने गरीब मछुआरों को एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) तक मछली पकड़ने पर सब्सिडी की अनुमति दी जानी चाहिए।
डब्ल्यूटीओ की एक स्थगन योजना के तहत देश सीमा पार ई-कॉमर्स लेनदेन पर सीमा शुल्क नहीं लगाते हैं।
1998 से डब्ल्यूटीओ के सदस्य देश समय समय पर स्थगन की अवधि बढ़ाने पर सहमति जताते रहे हैं। पिछले विस्तार की सहमति जून 2022 के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में बनी थी। यह स्थहगन एमसी-13 में खत्म होने वाली है, अगर इसकी अवधि न बढ़ाई जाए। इस मसले पर सदस्य देशों की राय बंटी है।
भारत सहित विकासशील देश इलेक्ट्रानिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क लगाने के लिए नीतिगत बनाए जाने को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उनका मानना है कि स्थगन ने उनके राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
वहीं विकसित देशों जैसे ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमा शुल्क लगाए जान के खिलाफ हैं।
डब्ल्यूटीओ में भारत न सिर्फ दो स्तर के विवाद समाधन व्यवस्था पर जोर दे रहा है, बल्कि नियम पर आधारित और स्वतंत्र विवाद समाधान निकाय बहाल करने का समर्थन कर रहा है।
भारत यह भी चाहता है कि आम सहमति पर आधारित निर्णय निर्माण सिद्धांत डब्ल्यूटीओ में बहाल किया जाए। डब्ल्यूटीओ में विवाद निपटान प्राधिकरण की शीर्ष संस्था अपीली निकाय को बहाल करने सहित विवाद समाधान व्यवस्था में सुधार भी भारत की प्राथमिकता है।
अमेरिका जैसे विकसित देश विवाद व्यवस्था में बदलाव की वकालत कर रहे हैं और डब्ल्यूटीओ की न्यायिक प्रणाली की प्रभावहीनता की बात कर रहे हैं।
किसी मंत्रिस्तरीय बैठक में पहली बार वाणिज्य मंत्री एक समर्पित सत्र में टिकाऊ विकास पर चर्चा करेंगे। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत पर्यावरण, महिला-पुरुष और एमएसएमई जैसे किसी गैर व्यापार मसले को शामिल किए जाने का विरोध करेगा।