भारत के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार फरवरी में मामूली घटकर 4 माह के निचले स्तर 55.3 पर पहुंच गई, जो जनवरी में 55.4 थी। भारत पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में यह गिरावट के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के इनपुट लागत में बढ़ोतरी और विदेश से नए ऑर्डर में छिटपुट बढ़ोतरी की वजह से हुई है।
एसऐंडपी ग्लोबल के प्राइवेट सर्वे में बुधवार को कहा गया है, ‘मैन्युफैक्चरिंग उद्योग की इनपुट लागत बढ़ी है। फर्मों ने इलेक्ट्रॉनिक सामान, ऊर्जा, खाद्य, धातु और टेक्सटाइल की कीमतों में बढ़ोतरी का उल्लेख किया है। बहरहाल महंगाई दर अभी भी दीर्घावधि औसत की तुलना में कम है और पिछले 2 साल की तुलना में सबसे कमजोर है।’
पीएमआई की भाषा में 50 से अधिक अंक का अर्थ है कि गतिविधियों में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है।
सर्वे में कहा गया है कि इनपुट लागत में बढ़ोतरी के बावजूद सिर्फ कुछ फर्मों ने ही बढ़ी लागत का बोझ ग्राहकों पर डाला है और विक्रय मूल्य बढ़ाया है, जबकि ज्यादातर (94 प्रतिशत) ने कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिससे बिक्री को समर्थन मिल सके।
बुधवार को जारी सर्वे के अनुसार भारत के मैन्युफैक्चरिंग उद्योग ने वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के मध्य में उत्पादन में मजबूत वृद्धि और नए ऑर्डर को बनाए रखा है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय बिक्री की वृद्धि दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘सर्वे से पता चलता है कि विनिर्माताओं ने बढ़ी हुई लागत खरीदारों पर डालने को लेकर सुस्ती दिखाई है क्योंकि इनपुट लागत की महंगाई दर जनवरी से कम हो रही है।’
सर्वे में कहा गया है कि फरवरी के आंकड़ों से पता चलता है कि लगातार 20वें महीने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का उत्पादन बढ़ा है।
सर्वे के मुताबिक, ‘नए कारोबार में बढ़ोतरी का मुख्य स्रोत घरेलू बाजार रहा है क्योंकि विदेश से नए ऑर्डर में वृद्धि सिर्फआंशिक रही है और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में बढ़ोतरी लगातार 11 माह के विस्तार की तुलना में सबसे कमजोर थी।’
वहीं नौकरियों में बढ़ोतरी नहीं हुई है। लीमा ने कहा, ‘नौकरियों के सृजन में उल्लेखनीय बदलाव नहीं आ पाई। फर्मों ने कहा कि उनकी मौजूदा जरूरतों के लिए पर्याप्त कर्मचारी हैं।’