सोमवार को रुपया गिरावट के बावजूद डॉलर के मुकाबले 83 के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर बना रहा। आरबीआई द्वारा डॉलर बिक्री के जरिये मुद्रा बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों से रुपये में तेज गिरावट का सिलसिला कमजोर पड़ रहा है।
कारोबारियों का कहना है कि वैश्विक तौर पर अमेरिकी डॉलर में बड़ी तेजी की वजह से रुपये को गिरने से बचाने के लिए केंद्रीय बैंक ने इस महीने लगातार प्रयास किया है। ब्लूमबर्ग के आंकड़े से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा इस महीने अब तक 11 अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर हालत में है।
सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.85 पर बंद हुआ, जबकि उसका पूर्ववर्ती बंद भाव 82.75 था। 2023 में रुपये में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक 0.13 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
सोमवार को दिन के कारोबार में, रुपया कमजोर पड़कर 82.95 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था, क्योंकि उभरते बाजारों की मुद्राओं के लिए धारणा अमेरिकी आंकड़ा आने के बाद कमजोर हुई है।
पिछली बार रुपये ने 20 अक्टूबर 2022 को दिन के कारोबार में 83 का निशान छुआ था। उस दिन, भारतीय मुद्रा ने 83.29 प्रति डॉलर का सर्वाधिक निचला स्तर बनाया था।
ऊंची अमेरिकी ब्याज दरों से डॉलर में तेजी को बढ़ावा मिला है और रुपये जैसी ईएम मुद्राओं पर दबाव बढ़ा है। प्रमुख 6 मुद्राओं का मापक अमेरिकी डॉलर सूचकांक 105.16 पर था, जबकि शुक्रवार को यह 104.72 पर दर्ज किया गया था।
पिछले कुछ सप्ताहों में आए आंकड़ों से मुद्रा कारोबारियों में इसे लेकर आशंका बढ़ी है कि फेड अनुमान के मुकाबले ज्यादा लंबे समय तक ब्याज दर वृद्धि बरकरार रख सकता है।
जहां मजबूत डॉलर का असर कई अन्य मुद्राओं पर भी पड़ा है, वहीं आरबीआई द्वारा अपने भंडार से लगातार डॉलर बेचने से अन्य मुद्राओं के मुकाबले रुपये को ज्यादा गिरने से रोक रखा है। फरवरी में अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 1.1 प्रतिशत कमजोर हुआ है, जो अन्य 11 ईएम की मुद्राओं की तुलना में काफी कम गिरावट है। दक्षिण कोरियाई वोन और थाई बहत जैसी मुद्राएं 6 प्रतिशत से ज्यादा कमजोर हुई हैं।