भारत में सेवा क्षेत्र (service sector) की वृद्धि जुलाई में 13 वर्ष के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। भारत के इस प्रमुख क्षेत्र में मांग तेजी से बढ़ने से स्थितियां बेहतर हुईं। इस क्रम में नए व्यवसाय और उत्पादन में सबसे ज्यादा मजबूत वृद्धि हुई। यह जानकारी निजी सर्वेक्षण ने गुरुवार को दी।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसऐंडपी के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में जून के 58.5 अंक की तुलना में जुलाई में बढ़कर 62.3 पर पहुंच गया।
PMI 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से होता है और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है। इन आंकड़ों में 23 महीनों से सुधार हो रहा है। इसके कारण अगस्त 2021 के बाद से आंकड़ों में सुधार है।
इस सर्वेक्षण में 400 सेवा प्रदाता कंपनियां शामिल थीं। इन कंपनियों में गैर खुदरा उपभोक्ता सेवाएं, यातायात, सूचना, संचार, वित्त, इंश्योरेंस, अचल संपत्ति और कारोबारी सेवा क्षेत्र की कंपनियां हैं।
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सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘अंतरराष्ट्रीय बिक्री के जबरदस्त ढंग से आने बढ़ने के कारण कुल नए ऑर्डरों में वृद्धि हुई। सेवा प्रदाताओं के अनुसार सितंबर 2014 से जब से यह श्रृंखला शुरू हुई है, उसके बाद से दूसरी बार सबसे तेज वृद्धि हुई। जुलाई के दौरान भारतीय सेवाओं की मांग में 13 साल में सर्वाधिक सुधार हुआ। सर्वे में शामिल 29 प्रतिशत भागीदारों ने कहा कि उन्हें इस दौरान अधिक नया कारोबार हासिल हुआ है।’
फाइनैंस और इंश्योरेंस क्षेत्र में कारोबारी गतिविधियां और नए ऑर्डर तेजी से बढ़े थे। एसऐंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की सीनियर एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘सेवा क्षेत्र की जुझारू क्षमता भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रही है। जुलाई के पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान काफी उल्लेखनीय रहेगा।’
उन्होंने कहा, ‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मार्केट में व्यापक रूप से बिक्री का बढ़ना सुखद समाचार है। खासकर ऐसी स्थिति में, जब वैश्विक आर्थिक स्थितियां चुनौतीपूर्ण हो रही हैं। कई देशों मसलन बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को कंपनियों का सेवाओं का निर्यात बढ़ा है।’
महंगाई दर के मोर्चे पर बात की जाए तो निगरानी वाली कंपनियों की खाद्य, श्रम और परिवहन की लागत बढ़ी है। हालांकि, लागत दबाव के बावजूद कंपनियों ने शुल्क में कम वृद्धि की है क्योंकि वे अपनी मूल्य रणनीति को लेकर सतर्क हैं।
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सर्वे में कहा गया है कि जुलाई महीने में विक्रय मूल्य बढ़ने की वजह से लागत में हुई बढ़ोतरी से मुनाफा बना रहा। हालांकि उत्पादन मूल्य में 3 महीने में सबसे सुस्त बढ़ोतरी हुई है।सर्वेक्षण से मिले साक्ष्यों से पता चलता है कि नए व्यवसाय पर किसी भी नकारात्मक असर को रोकने के प्रयासों के साथ मूल्य की रणनीति तैयार की गई है।
डी लीमा ने कहा कि अगर हाल के महीनों का पीएमआई मूल्य संकेतक देखें तो ऐसा लगता है कि प्रतिस्पर्धी लाभ की वजह से भारत की सेवाओं की मांग को लगातार समर्थन मिल रहा है और आउटपुट मूल्य में वृद्धि कुछ अन्य देशों की तुलना में कम है।