भारत का व्यापार घाटा दिसंबर में घटकर 3 महीने के निचले स्तर 19.8 अरब डॉलर पर आ गया है। जिंसों की कीमत गिरने और आयात में सुस्ती के कारण ऐसा हुआ है। सोमवार को वाणिज्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में वाणिज्यिक निर्यात 0.97 प्रतिशत बढ़कर 38.45 अरब डॉलर हो गया है। यह अब तक के इस वित्त वर्ष की सुस्ती के रुख के विपरीत है।
वहीं दूसरी ओर वाणिज्यिक आयात 8.45 प्रतिशत बढ़कर 58.25 अरब डॉलर हो गया है। सोने के आयात से इसे बल मिला है। आश्चर्यजनक यह है कि मालवाहक जहाजों की सुरक्षा की चिंता के कारण दिसंबर में भारत से विदेश भेजी जाने वाली खेप पर कोई बड़ा नकारात्मक असर नहीं पड़ा है। ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों के कारण लाल सागर क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर इस समय चिंता बनी हुई है।
सरकार के अधिकारियों ने कहा कि इंजीनियरिंग के सामान, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, दवाओं और फार्मास्यूटिकल उत्पादों की ज्यादा मांग की वजह से दिसंबर में भारत से निर्यात को बल मिला है। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा निर्यात के मामले में भारत धनात्मक क्षेत्र में बढ़ा है और यह वैश्विक धारणाओं के विपरीत है। हालांकि अभी यह देखे जाने की जरूरत है कि लाल सागर में स्थिति कैसी रहती है, क्योंकि वैश्विक व्यापार में इस मार्ग की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है।
बड़थ्वाल ने कहा, ‘व्यापार घाटे में बड़ी गिरावट आई है, लेकिन अभी भी हम विपरीत स्थितियों का सामना कर रहे हैं। हम वैश्विक धारणा को मात दे रहे हैं और उम्मीद है कि अंतिम तिमाही में भी यह स्थिति रहेगी। हम इंतजार कर रहे हैं और देख रहे हैं कि लाल सागर इलाके में क्या होता है। कुछ नकारात्मक असर हो सकता है, जो अगले महीने में नजरआएगा।’
मूल्य के हिसाब से देखें तो अगस्त और दिसंबर को छोड़कर भारत से विदेश भेजी जाने वाली खेप इस साल अप्रैल से 22 से 34 अरब डॉलर के आसपास रही है। यह पिछले साल भारत द्वारा अप्रैल से दिसंबर के बीच किए गए निर्यात की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।
इस वित्त वर्ष में अप्रैल दिसंबर के दौरान निर्यात 5.7 प्रतिशत घटकर 317.12 अरब डॉलर रह गया है, जबकि इस दौरान आयात 7.9 प्रतिशत गिरकर 505.15 अरब डॉलर है। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भारत का वाणिज्यिक व्यापार घाटा इक्रा के 22.7 अरब डॉलर अनुमान की तुलना में कम है, जिसकी वजह इस महीने में निर्यात का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर होना है।
गैर पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण के निर्यात को प्रमुक निर्यात कहा जाता है, जो 5.4 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर में 28.67 अरब डॉलर हो गया है। वहीं दूसरी ओर गैर पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण का आयात 0.2 प्रतिशत घटकर 37.96 डॉलर रह गया है।
विदेश व्यापार महानिदेशक संतोष सारंगी ने कहा कि सोने का आयात बढ़ने और रत्न एवं आभूषण का निर्यात बढ़ने से आंशिक रूप से सोने के आयातकों द्वारा एडवांस अथरॉइजेशन स्कीम के इस्तेमाल का पता चलता है, जिसके तहत मूल्यवर्धन करके सोने के आभूषण का निर्यात किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘सोना एडवांस अथराइजेशन के माध्यम से आ रहा है। यह बड़े पैमाने पर गोल्ड बार के रूप में आयात किया जा रहा है और उसके बाद उससे आभूषण बन रहा है। कुछ मामले में रुपया वोस्त्रो खाते का भी लाभ मिल रहा है, जिसकी अनुमति रिजर्व बैंक ने जुलाई 2022 में दी थी।’ उन्होंने कहा कि इस तरह का ज्यादातर आयात संयुक्त अरब अमीरात से हो रहा है।
दिसंबर में भारत का व्यापारिक निर्यात 30 में से 13 क्षेत्रों में घट गया। दिसंबर में गिरावट वाली प्रमुख निर्यात वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पाद (-17.61 प्रतिशत), रेडीमेड परिधान (-12.56 प्रतिशत), और कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (-11.43 प्रतिशत) शामिल हैं।