ग्रामीण मांग में सुधार, केंद्र सरकार का पूंजीगत खर्च बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सुधरकर 6.4 फीसदी हो सकती है। 12 अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया है। सितंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 5.4 फीसदी रह गई थी जो सात तिमाही में सबसे कम थी। निवेश मांग कम होने और औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के कारण वृद्धि दर में नरमी आई थी।
एचडीएफसी बैंक ने वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है जबकि एलऐंडटी के अनुसार यह 6.7 फीसदी रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 6.2 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। सांख्यिकी मंत्रालय 28 फरवरी को वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े जारी करेगा। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी जारी किया जाएगा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सरकार के पूंजीगत और राजस्व खर्च में तेजी, सेवाओं का निर्यात बढ़ने, निर्यात में सुधार और खरीफ की अच्छी पैदावार से अर्थव्यवस्था को लाभ मिलने की उम्मीद है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘शहरी मांग कमजोर रहने के बावजूद त्योहारों के दौरान उपभोक्ता उत्पाद से जुड़े क्षेत्रों में अच्छी मांग देखी गई। खनन और बिजली उत्पादन में भी सुधार हुआ है।’तीसरी तिमाही में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 3.96 फीसदी बढ़ा जो दूसरी तिमाही में 2.73 फीसदी बढ़ा था। आईडीएफसी बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि लगातार तीन तिमाही तक गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में गैर-वित्तीय कंपनियों की शुद्ध मुनाफा वृद्धि सकारात्मक रही है।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ने और ग्रामीण मांग में सुधार से अर्थव्यवस्था को बल मिला है। शहरी मांग में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं मगर यह अभी भी ग्रामीण मांग की तुलना में नरम है।’मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि ग्रामीण मांग में तेजी जारी रहेगी।