सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव करने की तैयारी कर रही है, जिसमें डिजिटल जांच, स्वत: रिफंड और डेटा-संचालित रिटर्न फाइलिंग शामिल है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) सुधारों को अंतिम रूप दे रहा है, जिसका मकसद पारदर्शिता में सुधार, अनुपालन को आसान बनाना और व्यवसायों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए त्वरित धन जारी करना सुनिश्चित करना है।
पूरी तरह से ऑटोमेशन की योजना के तहत रिटर्न-फाइलिंग प्रणाली की नए सिरे से डिजाइनिंग की जा रही है। इसके तहत ई-इनवॉइस, ई-वे बिल और आपूर्तिकर्ता फाइलिंग के आंकड़ों का इस्तेमाल करके फॉर्मों को ऑटो पॉपुलेशन में सक्षम बनाया जाएगा। इसका मकसद प्री फाइल्ड रिटर्न पेश करना और मानवीय हस्तक्षेप कम करना है।
इस सिलसिले में वित्त मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का जवाब खबर के प्रकाशन तक नहीं मिला। अधिकारी ने कहा, ‘स्रोत पर कर की कटौती या संग्रह (टीडीएस और टीसीएस) फाइलिंग, इंडियन कस्टम्स इलेक्ट्रॉनिक गेटवे पर आयात की घोषणा और आउटवार्ड सप्लाई रिटर्न (जीएसटीआर-1) सहित कई स्रोतों के आंकड़ों को जीएसटी नेटवर्क पर एकत्र किया जाएगा, जिससे एकीकृत डेटा संग्रह तैयार किया जा सके। इस एकीकरण से फाइलिंग सरल होने, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के मिलान में सुधार और सिस्टम पर आधारित जांच के माध्यम से खामियों की तत्काल जानकारी मिलने की संभावना है। इससे एमएसएमई और निर्यातकों के रिफंड की प्रॉसेसिंग मे तेजी लाने और क्रेडिट समाधान में मदद मिलने की भी संभावना है।’
साथ ही सीबीआईसी ऑनलाइन फॉर्म एएसएमटी-10 और एएसएमटी-11 के ऑनलाइन इश्युएंस के माध्यम से डिजिटल जांच व्यवस्था बना रहा है।
अन्य अधिकारी ने कहा, ‘जीएसटीआर-1, जीएसटीआर3बी और जीएसटीआर 2बी के साथ ई इनवाइस रिकॉर्ड से मिले आंकड़ों की तुलना करके विश्लेषण पर आधारित जांच की जाएगी। एक बार जब सारी खामियों की पहचान कर ली जाएगी, फॉर्म एएसएमटी-10 का ऑटोमेटिक सृजन हो जाएगा और इसे ऑनलाइन जारी कर दिया जाएगा। वहीं करदाता स्पस्टीकरण और दस्तावेजों को दाखिल कर सकेंगे।’ सुधार का मकसद जांच में एकरूपता सुनिश्चित करना व
व्यक्तिगत व्याख्या की संभावना को कम करना है। सूत्रों ने कहा कि आंतरिक जांच अंतिम चरण में है। अगली तिमाही में इसका प्रायोगिक परीक्षण शुरू हो सकता है।