इस साल भारत में तेल की मांग चीन की तुलना में तेजी से बढ़ सकती है। Trafigura Group के मुख्य अर्थशास्त्री साद रहीम ने S&P Global Commodity Insights द्वारा आयोजित APPEC सम्मेलन में कहा, “हम भारत की तेल मांग को लेकर आशावादी हैं। इस साल, अगर रणनीतिक भंडारण को छोड़ दें तो भारत की मांग चीन से अधिक होगी।”
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में तेल की बढ़ती खपत का मुख्य कारण शहरों में बढ़ती आबादी, बढ़ती आय और जीवन स्तर में सुधार है। देश में बढ़ते शहरीकरण और लोगों की बढ़ती आमदनी के कारण प्राइवेट और कमर्शियल वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे तेल की खपत बढ़ रही है।
वहीं, चीन में कच्चे तेल की खपत अब अपेक्षाकृत धीमी हो गई है। चीन की तेल खपत में केवल पेट्रोकेमिकल सेक्टर में वृद्धि दिखाई दे रही है। इसके अलावा, इस साल चीन में कुल खपत की वृद्धि मुख्य रूप से तेल भंडारण (स्टॉकपाइलिंग) के चलते बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार, चीन ने पिछले कुछ महीनों में लगभग 2 लाख बैरल रोजाना का तेल स्टॉक किया है। इस स्टॉकिंग से वैश्विक तेल की कीमतों को स्थिरता मिली है, जबकि OPEC+ ने बंद क्षमता को तेजी से फिर से चालू किया है।
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Gunvor Group के वैश्विक रिसर्च प्रमुख फ्रेडरिक लासेरे ने कहा, “आज चीन अपनी रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR) बढ़ा रहा है और तेल का भंडारण कर रहा है। लेकिन लॉन्गटर्म में चीन इतनी स्टॉकिंग जारी नहीं रख पाएगा और आने वाले समय में बाजार में अतिरिक्त तेल को पूरी तरह से एडजस्ट करना चुनौतीपूर्ण होगा।”
साद रहीम ने कहा कि अगले साल दुनिया में तेल की मांग बढ़ाने के लिए कोई मजबूत कारण नहीं दिख रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इतनी मांग होगी कि अतिरिक्त तेल बिक जाए। उनके मुताबिक, अगले साल तेल की मांग लगभग 10 लाख बैरल रोजाना बढ़ सकती है, लेकिन अगर यह मांग ज्यादा नहीं बढ़ी तो अतिरिक्त तेल को बाजार में बेचना मुश्किल हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में बढ़ती मांग और चीन में धीमी खपत के बीच वैश्विक तेल बाजार की दिशा इस साल काफी हद तक तय होगी। निवेशक और तेल उत्पादक इस बदलाव पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। (ब्लमबर्ग के इनपुट के साथ)