साल 2022 के दौरान भारतीयों ने विदेशी प्रतिभूतियों, संपत्ति और जमा पत्रों संभवत: रिकॉर्ड निवेश किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में किसी 12 महीने की अवधि में भारतीयों द्वारा विदेशी शेयरों व संपत्तियों में किया गया सर्वाधिक निवेश 2.1 अरब डॉलर था। यह प्रत्येक व्यक्तिगत श्रेणी में खर्च के लिहाज से भी सर्वाधिक रकम है। विदेशी जमा पत्रों, संपत्तियों, शेयरों एवं अन्य निवेश भी दिसंबर 2022 में समाप्त 12 महीने की अवधि में नई ऊंचाई को छू गया।
सरकार ने उदारीकृत प्रेषण योजना (liberalised remittance scheme-LRS) के तहत भारतीयों को विदेश में विभिन्न उद्देश्यों के लिए 2,50,000 डॉलर खर्च करने की अनुमति दी है। इसमें उपरोक्त निवेश कि अलावा शिक्षा, चिकित्सा, उपहार, दान, यात्रा और करीबी रिश्तेदारों या अन्य उद्देश्यों पर किया गया खर्च भी शामिल हो सकता है। निवेश संबंधी आंकड़े अप्रैल 2011 के बाद से उपलब्ध हैं। इस प्रकार 12 महीने की पहली अवधि मार्च 2012 से है।
साल 2011 से पहले के कुछ उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि विदेशी जमा, संपत्ति अथवा प्रतिभूति/डेट में 12 महीने का कुल निवेश कभी भी 35 करोड़ डॉलर से अधिक नहीं रहा था।
दिसंबर 2022 में समाप्त 12 महीने की अवधि में विदेशी जमा, संपत्ति अथवा प्रतिभूति/डेट में निवेश 96.95 करोड़ डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। दिसंबर के लिए मासिक आंकड़ा भी 11.95 करोड़ डॉलर पर सर्वाधिक रहा। इससे पता चलता है कि विदेशी शेयरों में भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। बड़ी तादाद में ब्रोकरेज ने अपने ग्राहकों को गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट, प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट और ऑनलाइन रिटेलर एमेजॉन जैसी कंपनियों के शेयरों में निवेश को बरकरार रखने में मदद की।
भारतीय निवेशकों ने एलआरएस निवेश के अलावा म्युचुअल फंडों के जरिये भी इन कंपनियों में निवेश किया है। म्युचुअल फंड बाजार पर नजर रखने वाली फर्म primemfdatabase.com के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2022 तक म्युचुअल फंड होल्डिंक का कुल निवेश 27,055 करोड़ रुपये था। जनवरी के आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी प्रतिभूतियों में म्युचुअल फंड होल्डिंग का मूल्य बढ़कर 29,012 करोड़ रुपये हो गया।
नियामकीय प्रतिबंधों ने म्युचुअल फंडों की विदेशी प्रतिभूतियों में अधिक जोखिम लेने की क्षमता को प्रभावित किया है। इसके अलावा विदेश से एक निश्चित राशि से अधिक के प्रेषण के लिए स्रोत पर 20 फीसदी कराधान से विदेश में निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।
विदेशी जमा पत्रों में निवेश का कुल मूल्य 98.57 करोड़ डॉलर है और इसमें से अधिकांश निवेश मार्च और अप्रैल में हुआ। प्रतिभूति/डेट के वृद्धिशील निवेश में लगातार तेजी नहीं दिखी है क्योंकि दिसंबर 2022 तक 12 महीनों का आंकड़ा रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
अचल संपत्ति में निवेश दिसंबर 2021 के बाद 12 महीने की अवधि में 10 करोड़ डॉलर के पार पहुंच गया। 15.76 करोड़ डॉलर का ताजा आंकड़ा भी रिकॉर्ड स्तर पर है।
ब्लूओसन कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) निपुण मेहता के अनुसार, अमीर अथवा धनाढ्य भारतीय (यूएचएनआई) विकसित बाजारों में अधिक किराये के साथ-साथ अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाने के लिहाज से भी विदेशी प्रॉपर्टी में निवेश कर रहे हैं। जबकि हाल के वर्षों में भारतीय बाजारों में कीमतें लगभग स्थिर रही थीं।
अमेरिकी बाजारों में 2019 के बाद तीन वर्षों का रिटर्न 20 फीसदी अधिक रहा।
नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट के अध्यक्ष एवं निवेश प्रबंधन प्रमुख अंशु कपूर ने कहा कि भारतीयों के पास धन बढ़ने, विभिन्न प्लेटफॉर्मों के जरिये विदेशी परिसंपत्तियों तक पहुंच आसान होने और वैश्विक अवसरों के प्रति जागरूकता बढ़ने से भारतीयों द्वारा विदेशी में निवेश को बढ़ावा मिला है।