केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा क्योंकि पुरी ने कहा कि रूस से तेल खरीदने पर कोई अंतरराष्ट्रीय पाबंदी नहीं है। उन्होंने रूस से तेल खरीदने पर पश्चिमी देशों के टीकाकारों द्वारा भारत की आलोचनाओं को खारिज कर दिया।
पुरी ने शुक्रवार को मुंबई में मीडिया से बातचीत में कहा,‘रूस से तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यदि आप रूस पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं तो यह उचित प्रतिबंध होना चाहिए और इसकी शर्तें सभी पर लागू होनी चाहिए। फिर हम देखेंगे कि आगे क्या होता है।‘
उन्होंने कहा कि दुनिया में ईंधन एक आवश्यक वस्तु है जिसकी आपूर्ति रोकी नहीं जा सकती। पुरी ने कहा कि ऊर्जा संसाधनों पर प्रतिबंध लगाने से आपूर्ति व्यवधान होगा जिससे कीमतें तेजी से बढ़ेंगी और मुद्रास्फीति सिर उठाने लगेगी। उन्होंने आगाह किया,’अगर आप दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादकों को हटा देते हैं तो आपको या तो खपत कम करनी होगी, खाना बंद करना होगा या बहुत गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। कीमतें आसमान छूने लगेंगी। ‘
पुरी ने पूर्व में पश्चिमी देशों द्वारा कीमतों पर सीमा तय करने और प्रतिबंधों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘अतीत में प्रतिबंध कभी कारगर नहीं रहे है। आप एक प्रतिबंध लगाते हैं और वे प्रतिबंधों से बचने का एक तरीका खोज लेते हैं। वर्तमान में यूरोप भी रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है, तुर्किये खरीद रहा है, जापान खरीद रहा है।‘पुरी ने जोर देकर कहा कि रूस ने पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेल का उत्पादन कम कर दिया है जिससे ऊर्जा की कीमतों पर असर होगा।’
मंत्री ने कहा कि तेल की आपूर्ति और मांग के बीच एक ‘व्यापक संतुलन’ आवश्यक है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कच्चा तेल आने वाले समय में 65-68 डॉलर प्रति बैरल के बीच कारोबार करेगा।
मंत्री ने तेल खरीदने को लेकर भारत के विविध दृष्टिकोण का बचाव किया और इसे पेशेवर एवं पारदर्शी बताया। उन्होंने कहा,‘हम यह तय नहीं करते हैं कि भारतीय पीएसयू कंपनियां अपना कच्चा तेल कहां से खरीदती हैं। वे स्वतंत्र बोर्ड वाली सूचीबद्ध इकाइयां हैं और उनके पास एक मजबूत निर्णय लेने की प्रक्रिया है। पुरी ने कहा कि भारत एक जिम्मेदार देश है और वाजिब प्रतिबंधों का पालन करता रहा है। उन्होंने कहा,‘हमने हमेशा अतीत में ईरान या वेनेजुएला पर लगे प्रतिबंधों का पालन किया है। रूस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यही वास्तविकता है।‘उन्होंने कहा कि रूसी तेल पर छूट कम हो गई है और भारतीय रिफाइनरी अब दूसरे देशों से भी तेल खरीद रही हैं। मंत्री ने कहा कि बहुत अधिक लाभ और उच्च लाभांश देने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार राज्य संचालित तेल कंपनियों को कम आंक रहे हैं।
पुरी ने कहा,‘इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, ऐंड एचपीसीएल मिलकर इंडिया इंक के मुनाफे का 3.3 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन उनका संयुक्त बाजार मूल्य 1 प्रतिशत से भी कम है। उन्होंने इसकी तुलना फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म से की। पुरी ने कहा ‘ज़ोमैटो ऐंड स्विगी का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 4.37 लाख करोड़ रुपये है, जो तीनों ओएमसी के संयुक्त मूल्यांकन के बराबर है। फिर भी 2019 से उन्होंने (फूड डिलीवरी कंपनियों ने) 24,000 करोड़ रुपये नुकसान उठाए हैं,जबकि पीएसयू तेल कंपनियों ने 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ अर्जित किया।’