भारत को खिलौनों का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के मकसद से उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग 13,000 करोड़ रुपये की एक योजना पर काम कर रहा है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ ही सरकार का उद्देश्य आयात पर अत्यधिक निर्भरता घटाने और चीन तथा वियतनाम जैसे वैश्विक दिग्गजों की तुलना में लागत कम करने जैसी चुनौतियों का भी समाधान करना है।
घटनाक्रम के जानकारों के अनुसार यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना को मंजूरी दे दी जाती है तो खिलौनों के घरेलू विनिर्माण के साथ-साथ निर्दिष्ट कच्चे माल के लिए लक्षित वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 500 करोड़ रुपये से अधिक की निवेश प्रतिबद्धता के मामले में रियायती बुनियादी सीमा शुल्क का प्रावधान भी किया जाएगा। हालांकि इसकी पात्रता के लिए वृद्धिशील निवेश, बिक्री सीमा, घरेलू मूल्य संवर्द्धन और निर्यात मानदंड जैसी शर्तें पूरी करनी होंगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2026 के आम बजट में खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने की घोषणा की थी और इसी पृष्ठभूमि के तहत इस तरह की योजना लाने की पहल की जा रही है। बीते समय में उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने 3,489 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का प्रस्ताव रखा था। मगर यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई क्योंकि सरकार के शीर्ष अधिकारियों का मानना था कि मौजूदा 14 पीएलआई योजनाओं की प्रभावशीलता का आकलन करने के बाद ही नई योजनाएं शुरू की जानी चाहिए। अभी तक गिनी-चुनी पीएलआई योजनाओं ने ही अपेक्षित परिणाम दिए हैं।
मामले के जानकार एक शख्स ने कहा कि यह योजना अभी चर्चा के चरण में है। अंतर-मंत्रालयी परामर्श अभी पूरा नहीं हुआ है। हालांकि एक सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इसके लिए सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करने और इसे जल्द से जल्द लागू करने की योजना है। इस बारे में जानकारी के लिए उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग को हमने ईमेल किया गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
इस योजना के तहत विशिष्ट हस्तक्षेपों के माध्यम से सरकार का लक्ष्य स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मांग को पूरा करते हुए भारत को वैश्विक खिलौना बाजार में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करना है। स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के अलावा यह योजना भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत करने में भी मदद करेगी। प्रस्तावित योजना के तहत सालाना कारोबार से जुड़े प्रोत्साहन (टीएलआई), स्थानीयकरण से जुड़े प्रोत्साहन (एलएलआई) और रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन (ईएलआई) जैसी विभिन्न तरह की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान होगा।
पात्र इकाइयों को ये प्रोत्साहन 5 साल के लिए उपलब्ध होंगे।उदाहरण के लिए सालाना कारोबार से जुड़े प्रोत्साहन के मामले में सरकार द्वारा निर्धारित आधार वर्ष में वृद्धिशील निवेश और बिक्री मानदंड को पूरा करने के बाद पात्र लाभार्थियों या कंपनियों को प्रोत्साहन राशि वितरित की जाएगी। स्थानीयकरण से जुड़े प्रोत्साहन के मामले में यदि कच्चे माल का एक निश्चित हिस्सा देश में निर्मित होता है तो कंपनियों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन के तहत नए कर्मचारियों की नियुक्ति के आधार पर विनिर्माताओं को वित्तीय सहायता दी जाएगी।
वैश्विक खिलौना बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 1.7 फीसदी है, जिसका मूल्य 2024 में लगभग 114 अरब डॉलर होने का अनुमान है। वर्तमान में वैश्विक खिलौना बाजार में चीन का दबदबा है और कुल निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 58 फीसदी है। अन्य प्रमुख विनिर्माण केंद्रों में वियतनाम, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं।
सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में कहा था, ‘खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना के आधार पर हम भारत को खिलौनों का वैश्विक केंद्र बनाने के लिए एक योजना लागू करेंगे। यह योजना संकुलों, कौशल और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर केंद्रित होगी जो ऐसे उच्च-गुणवत्ता वाले, अनूठे, नवीन और टिकाऊ खिलौने तैयार करेगी जो ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड का प्रतिनिधित्व करेंगे।’