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Trump Tariffs: टैरिफ कम करने में हिचक रहा अमेरिका, भारत का प्रस्ताव नहीं आ रहा पसंद

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में शुल्क और कृषि बाजार पहुंच पर मतभेद बने हुए हैं, जिससे समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है

Last Updated- October 17, 2025 | 10:56 PM IST
Trump Tariffs
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

अमेरिका, भारत को प्रस्तावित व्यापार समझौते के तहत मौजूदा 25 फीसदी ‘जवाबी शुल्क’ को कम करके पाकिस्तान (19 फीसदी), बांग्लादेश (20 फीसदी) और इंडोनेशिया (19 फीसदी) जैसे पड़ोसी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर लागू स्तरों से नीचे लाने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है। भारत ने अपने बाजार में अमेरिकी उत्पादों की पहुंच के लिए जो मौजूदा प्रस्ताव दिया है वह अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा है। 

अमेरिका के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘हम प्रत्येक देश के साथ उसकी अपनी शर्तों पर बात कर रहे हैं। हम जो भी करने की इच्छा रखते हैं वह इस बात पर निश्चित रूप से निर्भर करेगा कि भारत सरकार क्या करना चाहती है। क्या भारत सभी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क को शून्य स्तर पर ला सकता है? क्या आपको वाकई ऐसा लगता है कि ऐसा होने वाला है? यह बेहद शानदार होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा।’

भारत अपने डेरी और कृषि बाजारों को खोलने को लेकर हिचक रहा है और यह व्यापार वार्ता में एक प्रमुख बाधा रही है जबकि अमेरिका सोयाबीन, मक्का और डेरी उत्पादों में बाजार पहुंच चाहता है। भारत, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते के तहत 15 फीसदी शुल्क का लक्ष्य बना रहा है, जिससे उसके श्रम आधारित उत्पाद अन्य एशियाई देशों की तुलना में अमेरिका के लिए सस्ते हो जाएंगे। हालांकि यह मुद्दा नवंबर तक एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की राह में एक प्रमुख रोड़ा बना हुआ है। 

वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय व्यापार वार्ताकार, बाकी के मतभेदों को सुलझाने के लिए व्यापार वार्ता के मकसद से वॉशिंगटन में हैं। 

अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते के तहत अपने शुल्क को 32 फीसदी से घटाकर 19  फीसदी करने के लिए, इंडोनेशिया ने सभी क्षेत्रों में 99 प्रतिशत से अधिक अमेरिकी उत्पादों पर, तरजीही आधार पर शुल्क बाधाएं खत्म कर दी जिसमें सभी कृषि उत्पाद, स्वास्थ्य से जुड़े उत्पाद, समुद्री खाद्य वस्तुएं, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, मोटर वाहन उत्पाद और रसायन शामिल थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने जुलाई में एक बयान में कहा था कि इससे ‘अमेरिकी निर्यात की पूरी श्रृंखला के लिए व्यावसायिक रूप से बाजार पहुंच के सार्थक मौके तैयार होंगे जिससे अमेरिका में उच्च-गुणवत्ता वाली नौकरियों में मदद मिलेगी।’

बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत, रूस से तेल की खरीद धीरे-धीरे बंद कर देगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत की ऊर्जा आयात नीतियां पूरी तरह से भारतीय उपभोक्ताओं के हितों के आधार पर तय होती हैं। हालांकि ट्रंप के बयान का स्पष्ट रूप से खंडन नहीं किया गया। बाद में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि दोनों नेताओं के बीच बुधवार को टेलीफोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी, जैसा कि ट्रंप ने कहा था।

अगस्त महीने में, अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी का जवाबी शुल्क और रूस से तेल की खरीद के कारण अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क लगाया, जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50 फीसदी  हो गया। अमेरिका ने प्रस्तावित व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए पहले एक शर्त रखी कि भारत, रूस से तेल खरीद बंद करने का आश्वासन दे।

मंगलवार को, अग्रवाल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ अपनी व्यापार वार्ता में दोनों पक्षों के लिए फायदे वाले समाधान की तलाश कर रहा है, जिससे ‘शुल्क मुद्दे’ का भी समाधान निकलेगा और भारत, अमेरिका से अपनी मौजूदा ऊर्जा खरीद को मौजूदा लगभग 12-13 अरब डॉलर की तुलना में लगभग दोगुना करने को लेकर उत्सुक है। 

सितंबर महीने में भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका की तरफ से अधिकांश उत्पादों पर 50 फीसदी शुल्क लगा और अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात 20.3 फीसदी कम होकर 5.5 अरब डॉलर हो गया, जो लगातार चौथी मासिक गिरावट को दर्शाता है।

First Published - October 17, 2025 | 10:34 PM IST

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