अमेरिका के साथ शुरुआती चरण के व्यापार समझौते के तहत श्रम आधारित क्षेत्रों के लिए भारत 2 अप्रैल से पहले की शुल्क दर पर बाध्यकारी प्रतिबद्धता की मांग कर रहा है। इसमें डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए 10 फीसदी के बुनियादी शुल्क को खत्म करना भी शामिल है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हमारे श्रम आधारित क्षेत्र के निर्यात पर 2 अप्रैल के बाद 10 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है जबकि मूल शुल्क कमोबेश एक अंक में थे। इसलिए अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल के पहले के मूल शुल्क पर प्रतिबद्धता से हमें अन्य देशों के मुकाबले बढ़त मिलेगी।’
भारत परिधान, चमड़ा, जूते-चप्पल, रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम आधारित क्षेत्रों के निर्यात पर शुल्क खत्म करने पर जोर दे रहा है, वहीं अमेरिका ने बताया कि फिलहाल शुल्क घटाने के लिए उसे अमेरिकी संसद से अनुमति नहीं मिली है। सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि व्यापार समझौते में एक पैराग्राफ यह भी होना चाहिए कि जब अमेरिकी प्रशासन को कांग्रेस से अनुमति मिल जाए तो श्रम आधारित उत्पादों पर शुल्क को शून्य कर दिया जाए। यह एक आगे की तारीख वाले चेक की तरह होगा।’
दोनों पक्षों ने साल के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रतिबद्धता जताई है। हालांकि भारत, अमेरिका के 26 फीसदी जवाबी शुल्क से बचने के लिए शीघ्र समझौते पर जोर दे रहा है। जवाबी शुल्क पर लगी रोक 9 जुलाई से हट सकती है।
भारत फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान दोनों पक्षों के बीच संयुक्त बयान पर किए गए हस्ताक्षर का भी हवाला दे रहा है। उस समय संयुक्त बयान में कहा गया था, ‘दोनों पक्षों ने भारत को औद्योगिक वस्तुओं के अमेरिकी निर्यात और अमेरिका को भारत के श्रम प्रधान उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।’
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने बीते मंगलवार को कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। इससे संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच समझौता जवाबी शुल्क पर 90 दिन की रोक खत्म होने से पहले हो सकता है।
अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने ट्रंप प्रशासन के जवाबी शुल्क पर रोक लगा दी थी जिससे शुल्क के बारे में अनिश्चितता बढ़ गई थी मगर अपील अदालत ने उक्त आदेश पर स्थगन लगा दिया।
विश्व व्यापार संगठन में भारत के पूर्व राजदूत जयंत दासगुप्ता ने कहा कि यदि भारत ऐसे समय में अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में जल्दबाजी करता है जब जवाबी शुल्क का मामला शीर्ष अदालत तक जा सकता है तो अमेरिका और अधिक रियायत की मांग करेगा।
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि सरकार शीर्ष अदालत के फैसले तक बातचीत को आगे बढ़ा सकती है या नहीं। अमेरिका केवल दबाव बना रहा है और इस सौदे में कुछ भी द्विपक्षीय नहीं है।’