रूस की तेल व गैस इकाइयों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए नवीनतम प्रतिबंधों का परोक्ष असर भारत पर भी हो सकता है। इससे भारत को रूस से छूट पर मिलने वाले कच्चे तेल में कटौती हो सकती है और क्रूड बाजार कीमतों पर खरीदना पड़ सकता है।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि भारत को तत्काल तो रूस से कच्चा तेल हासिल करने में दिक्कतें नहीं आएंगी। रूस से भारत के लिए कच्चे तेल की खेप निकल चुकी है और इसे भारत तक पहुंचने में 6-8 सप्ताह का समय लगता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘हम (भारत) पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं होगा। इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव यह है कि हमें रूस से छूट पर मिलने वाला कच्चा तेल मिलना रुक सकता है। सबसे खराब स्थिति में यह होगा कि हमें बाजार भाव पर कच्चा तेल खरीदना पड़ सकता है।’
मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने शु्क्रवार को रूस पर व्यापक प्रतिबंध लगाए थे। ये प्रतिबंध तेल उत्पादकों, टैंकरों, मध्यवर्तियों, कारोबारियों और बंदरगाह पर लगाए गए हैं। अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने दिग्गज तेल और गैस कंपनियों गैजप्रोम नैफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगास पर प्रतिबंध लगाए हैं। भारत के लिए यह प्रतिबंध इसलिए खास हो गए हैं कि अमेरिका ने रूस के तेल की ढुलाई करने वाले 183 पोतों पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं। इनमें से कुछ शायद भारत को कच्चे तेल की ढुलाई कर रहे हैं। इससे अलावा रूस की एक प्रमुख बीमा कंपनी पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
इन प्रतिबंधों से वित्तीय बाेझ बढ़ सकता है लेकिन सरकार को भारत में कम से कम दो महीने तक आपूर्ति होने वाले कच्चे तेल की कमी या उसकी आपूर्ति में कोई बाधा आने की आशंका नहीं है। इस बीच तेल के दाम पहले ही बढ़ चुके हैं। खबर लिखे जाने तक ब्रेंट क्रूड का दाम बढ़कर 81.23 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि यह शुक्रवार को 79.68 डॉलर प्रति बैरल था। बहरहाल, सरकार दामों की निगरानी कर रही है। उसका मानना है कि आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में गिरावट आ सकती है। सूत्र के मुताबिक, ‘बाजार अभी भी इसका (नवीनतम प्रतिबंधों) का अर्थ समझने की कोशिश कर रहा है। स्थितियां बदल रही हैं। यह आकलन का प्रभाव करने के शुरुआती दिन हैं।’
अभी तक कमी नहीं
भारत को उम्मीद है कि वह अन्य उत्पादकों से अधिक मात्रा में कच्चा तेल हासिल कर सकता है। सूत्र के मुताबिक, ‘हम बाजार में आ रहे अतिरिक्त उत्पादन पर नजर रख रहे हैं। तेल उत्पादकों के संगठन ओपेक के पास अतिरिक्त क्षमता है। ओपेक के अलावा गुयाना, अमेरिका, कनाडा, सूरीनाम और अन्य भी आपूर्ति करने की स्थिति में हैं।’ रूस बीते दो वर्षों से भारत को सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता स्रोत है। दिसबंर, 2024 तक भारत में होने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति में रूस के कच्चे तेल की हिस्सेदारी 31 फीसदी थी।