India’s Economic Growth: भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P Global और मूडीज (Moody’s) ने आज जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत बेशक सबसे तेज अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, मगर बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण को लेकर चुनौतियां भी दरकिनार नहीं की जा सकती है। रिपोर्टों का कहना है कि भारत में कार्बन-उत्सर्जन संबंधी चुनौतियां बड़ी बाधाओं के रूप में उभर रही हैं।
S&P ग्लोबल ने अपनी रिपोर्ट ‘Look forward Emerging Markets: A decisive decade’ में कहा कि भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर (30 लाख करोड़ डॉलर) की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है, अभी फिलहाल यह 3.6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है।
रिपोर्ट ने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और आने वाले तीन सालों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। साथ ही, 2024 में JPMorgan के गवर्नमेंट इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स (Government Emerging Market Bond Index) में भारत की एंट्री से अतिरिक्त सरकारी फंडिंग हासिल करने और साथ ही साथ घरेलू पूंजी बाजार (domestic capital markets) में रिसोर्सेज को बढ़ाने मदद मिलेगी।
S&P ने कहा कि यह केवल पहला कदम है – निवेशक बेहतर मार्केट ऐक्सेस और निपटान प्रक्रियाओं (settlement procedures) की तलाश जारी रखेंगे।
S&P ने कहा कि 2035 तक, उभरते बाजार (emerging markets) ग्लोबल इकनॉमिक ग्रोथ का लगभग 65 प्रतिशत योगदान देंगे, जिसमें भारत, चीन, वियतनाम और फिलीपींस जैसे एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देश प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
S&P ने कहा, इस दौरान, भारत के तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है। 2035 तक, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, वहीं इंडोनेशिया आठवें और ब्राजील नौवें स्थान पर होंगे।
S&P ने कहा 2035 तक एमर्जिंग देशों की औसतन GDP ग्रोथ 4.06 प्रतिशत होगी, जबकि एडवांस अर्थव्यवस्थाओं यानी विकसित देशों के लिए यह 1.59 प्रतिशत होगी।
मूडीज को उम्मीद है कि 2024 में भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (real GDP growth) 7.2 प्रतिशत और 2025 में 6.6 प्रतिशत रहेगी। इसके साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा।
Moody’s की रिपोर्ट ने आज कहा कि भारत की आर्थिक विकास दर और बढ़ती आबादी से उत्पन्न कार्बन-उत्सर्जन एक गहरी चिंता की बात है। Moody’s ने कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और औद्योगीकरण से एनर्जी और कार्बन-उत्सर्जन वाले प्रोडक्ट्स की मांग में तेजी से इजाफा होगा।
2022 में भारत का ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन 7.5 प्रतिशत तक पहुंच गया, और यह अगले कुछ वर्षों में और बढ़ सकता है। जबकि 2019 में यह 6.7 प्रतिशत पर था। गौरतलब है कि भारत ने 2070 तक जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और 2030 के अंतरिम डिकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों की दिशा में कुछ प्रगति की है।
हालांकि, देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ाने का काम करेगी। Moody’s ने कहा कि भारत को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न सामाजिक और आर्थिक जोखिमों से बचने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने और नए उपायों को लागू करने की जरूरत होगी।
भारत का प्राइवेट सेक्टर वर्तमान में क्लाइमेट चेंज के असर को कम करने के लिए लगभग दो-तिहाई फंड देता है और इसके महत्वपूर्ण योगदान जारी रखने की संभावना है।
S&P ने भी यह कहा कि भारत की तेजी से बढ़ती आबादी एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रही है, जो बुनियादी सेवाओं के कवरेज और उत्पादकता बनाए रखने के लिए निवेश की बढ़ती जरूरतों को सामने लाती है।