भारत, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विवाद समाधान के प्रस्तावित संशोधन पर चिंता जताई है। अबुधाबी में अगले साल फरवरी में होने वाले डब्ल्यूटीओ के 13वें मंत्रिमंडल सम्मेलन (एमसी13) में संशोधन पर चर्चा के लिए सहमति बनाने का प्रयास जारी है।
अमेरिका की पहल पर डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की बातचीत अप्रैल, 2022 से जारी है। डब्ल्यूटीओ में विवाद समाधान की दो स्तरीय प्रणाली परामर्श और न्यायिक परामर्श हैं। लेकिन यह प्रणाली दिसंबर, 2019 से निष्क्रिय है। इसका कारण यह है है कि अमेरिका ने सर्वोच्च न्यायिक सात सदस्यीय अपीलीय निकाय में नए सदस्यों की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी थी।
अमेरिका का दावा है कि वर्तमान ढांचा कई बार अपने फैसलों में सीमा से परे जा चुका है। अमेरिका ने एक स्तरीय प्रणाली का संकेत दिया है। अमेरिका के अनुसार एक स्तरीय प्रणाली में द्विपक्षीय विवादों का समाधान करने का अधिक दायरा है।
एमसी 12 ने सदस्य देशों को आदेश दिया था कि वे ‘2024 तक सभी सदस्यों के लिए एक पूर्ण और अच्छी तरह से काम करने वाली विवाद निपटान प्रणाली को सुलभ बनाने के लिए चर्चा करें।’
भारत सहित इन तीन सदस्य देशों ने कहा कि इन ‘अनौपचारिक चर्चाओं’ का उद्देश्य ऐसी चर्चाओं को विकल्प बनने की जगह एमसी 12 मंत्रिमंडलीय घोषणा में बहुपक्षीय विवाद समाधान संशोधन में योगदान देना था। उन्होंने कहा, ‘चर्चाओं के तरीके ने पिछड़े देशों सहित सर्वाधिक विकाससील देशों को चर्चाओं में समुचित ढंग से हिस्सा लेने को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।’
इन तीन देशों ने दावा किया कि हालिया चर्चा और प्रारूप तैयार करने की प्रक्रिया अमीर प्रतिनिधियों के हित में है और डब्ल्यूटीओ के मंजूर तरीकों से काफी हद तक अलग है। उन्होंने इंगित किया कि सदस्य अपने लिए महत्त्वपूर्ण दस्तावेज जमा नहीं कर सकते हैं।
प्रारूप तैयार करने वाले समूह को मिली टिप्पणियां व समीक्षाएं शुरुआती दौर में सभी प्रतिनिधियों को उपलब्ध नहीं थीं। लिहाजा सदस्यों को लिखित व चर्चाओं की जानकारी तक पहुंच स्थापित करने में भेदभाव बरता गया है।