अक्टूबर में भारत से अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई। मगर, यूरोपीय संघ, चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को हुए निर्यात कमी आई है। यह जानकारी सरकारी आंकड़ों से मिली है।
साल की पहली छमाही के दौरान मंदी के बाद भारत के इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात ने अक्टूबर में लगातार तीसरे महीने 7.2 फीसदी सकारात्मक वृद्धि हासिल की है। जबकि, चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में ऐसे उत्पादों के निर्यात की वृद्धि में 1.6 फीसदी की गिरावट देखी गई थी।
ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा, ‘विकसित देशों खासकर यूरोपीय संघ में मांग में गिरावट ने भारतीय धातु निर्यातकों के लिए परेशानी खड़ी कर दी। यूरोपीय संघ और उत्तरी अमेरिका के देशों द्वारा भारतीय निर्यातकों पर लगाए जा रहे अवरोधों के कारण स्थिति और खराब हो गई है।’
इंजीनियरिंग उत्पादों में लौह और इस्पात उत्पादों, विद्युत और औद्योगिक मशीनरी से लेकर वाहन और हवाई अड्डे से संबंधित उत्पादों तक विभिन्न प्रकार के उत्पाद शामिल हैं। ऐसे उत्पादों की हिस्सेदारी भारत के कुल विदेशी निर्यात में एक चौथाई के आसपास है।
अक्टूबर में अमेरिका को इंजीनियरिंग निर्यात का मूल्य 1.39 अरब डॉलर था, जो पिछले साल की तुलना में 2.2 फीसदी ज्यादा है। जबकि संयुक्त अरब अमीरात को शिपमेंट 2.9 फीसदी बढ़कर 34.86 करोड़ डॉलर हो गया। ब्रिटेन में इंजीनियरिंग निर्यात अक्टूबर में 60.3 फीसदी बढ़कर 30.25 करोड़ डॉलर रहा।
हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि पिछले वित्त वर्ष के निचले आधार को भी इस वृद्धि के लिए आंशिक कारण माना जा सकता है। यूरोपीय और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अक्टूबर में गिरावट देखने को मिली।
शीर्ष देशों में इटली (-23.6 फीसदी), सिंगापुर (-39.1) फीसदी, इंडोनेशिया (-18.2 फीसदी), नीदरलैंड (-52.4 फीसदी), बेल्जियम (-20.9 फीसदी) शामिल है। चीन को निर्यात 6 फीसदी गिर गया।
विकसित देशों में मंदी के रुझान के कारण बाहरी मांग में कमी आने से इन उत्पादों का निर्यात प्रभावित हुआ है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) इंडिया ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि मंदी में मुख्य रूप से योगदान देने वाले कारकों में बढ़ती वैश्विक महंगाई और विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका में उच्च ब्याज दरें शामिल हैं, जो भारत के इंजीनियरिंग क्षेत्र के लिए प्रमुख बाजार भी हैं।
इसने कहा, ‘व्यापार मंदी ने बड़ी संख्या में अर्थव्यवस्थाओं और लोहा एवं इस्पात, कार्यालय और दूरसंचार उपकरण सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को भी प्रभावित किया है।’