स्टील पर निर्यात शुल्क हटाने के बाद नवंबर और दिसंबर महीने में बाजार में थोड़ा सुधार देखने को मिला, जिसके कारण विनिर्माताओं को उम्मीद है कि नया वर्ष स्टील बाजार में स्थिरता लाएगा।
घरेलू बाजार में स्टील की मजबूत मांग और चीन में जीरो कोविड नीति पर थोड़ी ढिलाई के बाद उम्मीद और भी बढ़ गई है।जेएसडब्ल्यू के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्तीय अधिकारी शेषगिरि राव ने कहा कि स्टील की कीमत में नवंबर में सुधार हुआ था, जिसका परिणाम घरेलू बाजार में देखने को भी मिला, लेकिन दिसंबर माह में कीमत में और भी सुधार आया है। राव ने कहा कि अमेरिका और यूरोप ने महंगाई दर और मांग में गिरावट को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दर को बढ़ा दिया, जिसके कारण स्टील बाजार में भी सुस्ती देखने को मिली। चीन में भी जीरो कोविड नीति के कारण मांग प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि चीन में कोविड नीति में राहत दिए जाने के बाद कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है।
स्टीलमिंट के डेटा के मुताबिक, भारतीय बाजार में फ्लैट स्टील के लिए बेंचमार्क, हॉट रोल्ड कॉइल स्टील की औसत कीमत नवंबर में 56,100 रुपये प्रति टन और दिसंबर में 54,100 रुपये प्रति टन पहुंच गई। लंबे उत्पादों में, रेबार या सरिया की कीमत नवंबर माह में 56,100 रुपये टन और दिसंबर में 55,700 रुपये हो गई।
क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस ऐंड एनालिटिक्स के निदेशक-अनुसंधान हेतल गांधी ने कहा कि पिछले दो हफ्तों में वैश्विक कीमतों (एफओबी चीन) में 6-8 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिसके कारण आयात की लागत और घरेलू फ्लैट स्टील की कीमत के बीच अंतर कम हुआ है। नवंबर में पहले ही कुछ हफ्तों में चीन एफओबी कीमत में 500-520 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 565-575 डॉलर प्रति टन हो गई।
आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी रंजन धर ने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि क्या चीन में बढ़ रही कीमत का कारण जीरो कोविड नीति में राहत दिया जाना है, जिसने मांग की उम्मीद को बढ़ा दिया है। स्टील बाजार में चीन की प्रमुख भूमिका रहती है, यह पूरे विश्व का 54 फीसदी उत्पादन करता है। कीमत के मामले में विश्व के अन्य क्षेत्र भी चीन की ही नीति का पालन कर रहे हैं। इसके अलावा मांग में उम्मीद बढ़ने के अन्य कारण यह भी हैं कि यूरोप में दो तिमाही के अंतराल के बाद कुछ उद्यमियों ने फिर से भंडारण करना शुरू कर दिया है। भारत की तरफ से निर्यात शुल्क हटाए जाने से इन्वेंटरी में मदद मिलने की उम्मीद है, हालांकि वैश्विक बाजार अभी भी कमजोर है।
सवाल अब यह है कि क्या मांग को लेकर सकारात्मक रुख स्टील की कीमत में सुधार लाएगा क्योंकि घरेलू बाजार में इसकी कीमत में 29 फीसदी की गिरावट आई है, जो नवंबर माह में सबसे अधिक थी।
राव ने इस बात की उम्मीद नहीं जताई कि 2022 में आई स्टील की कीमत में अस्थिरता नए साल में भी बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि सभी तरह की कीमतों में इस बार स्थिरता देखने को मिल सकती है। धर ने कहा कि कच्चे माल की लागत का दबाव जारी रहने से मार्जिन में कमी आ रही है। इससे भी कीमतें बढ़ेगी। कीमतों पर असर वैश्विक बाजार के अनुसार होगा, लेकिन विशेषज्ञों को इस बात पर भी कोई संदेह नहीं है कि घरेलू बाजार में मांग मजबूत रहेगी।
यह भी पढ़े: नियोजित मेगा रिफाइनरी विभिन्न जगहों पर होगी विभाजित!
आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा कि 2023 में स्टील मांग में 6-7 फीसदी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण सरकार द्वारा पूंजीगत निवेश होगा। स्टील मिलें भी मजबूत मांग की उम्मीद कर रही हैं। जिंदल स्टील ऐंड पावर (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक विमलेंद्र झा ने इस अवधि के दौरान मजबूत मांग की उम्मीद की। राव ने उम्मीद जताई कि भारत में मांग बेहतर होगी। उन्होंने कहा कि हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था में अगले साल भी समस्या होगी।
क्रिसिल के गांधी ने कैलेंडर वर्ष 2022 में घरेलू मांग में 7 फीसदी की वृद्धि और वित्त वर्ष 2023 में 10-12 फीसदी की मजबूत वृद्धि की उम्मीद की। आयात में बढ़ोतरी भारतीय कंपनियों के लिए निराशाजनक है। गांधी ने कहा कि सस्ते आयात के कारण निर्यात शुल्क हटाए जाने के बावजूद नवंबर और दिसंबर में फ्लैट स्टील क्षेत्र में कीमतें गिर गईं।