केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज कहा कि भारत बिजली उपकरणों के आयात के लिए नया शुल्क ढांचा पेश करेगा, जिसमें आयात को हतोत्साहित किया जाएगा। चीन से आयात को कम करने की केंद्र की कवायदों का हवाला देते हुुए मंत्री ने कहा कि भारत में आ रहे सोलर उपकरण पर 20 से 40 प्रतिशत के बीच बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) लगाया जाएगा।
भारत में स्थापित सौर बिजली क्षमता में से 75 प्रतिशत चीन के सोलर मॉड्यूल से बनी है। यह चीन से देश में आयात होने वाले शीर्ष 10 वस्तुओं में शामिल है।
सिंह ने कहा, ‘ऐसा प्रस्ताव किया गया है कि पहले साल मॉड्यूल्स के आयात पर पहले साल 25 प्रतिशत तक बुनियादी सीमा शुल्क लगाया जाएगा। अगले साल इसे बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक किया जाएगा।’
सोलर सेल के लिए बीसीडी इस साल 15 प्रतिशत होगा और अगले वित्त वर्ष और उसके बाद यह 20 से 20 प्रतिशत होगा। बिजली मंत्रालय ने मंगलवार को बिजली उत्पादन, पारेषण व वितरण उपकरण, सोलर सेल और मॉड्यूल के आयात पर कुछ बाधाएं लगाने की घोषणा की थी।
गैर सौर बिजली उपकरणों के बारे में मंत्री ने कहा कि इसके लिए नया शुल्क ढांचा होगा, जो उन उपकरणों के आयात को हतोत्साहित करेगा, जिसका पर्याप्त घरेलू विनिर्माण होता है। सिंह ने कहा, ‘परंपरागत बिजली उद्योग, जिसका पर्याप्त निर्माण भारत में हो रहा है, मैं उन सामान पर शुल्क लगाने पर विचार करूंगा, जिन पर शुल्क नहीं है। यह शुल्क अलग अलग होगा। कुछ देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं, जबकि कुछ देशों से कुछ उत्पादों को लेकर समझौते हैं। ऐसे में शुल्क का ढांचा ऐसा होगा कि लोग घरेलू सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित हों।’
मंत्री ने कहा कि बिजली क्षेत्र संवेदनशील है, क्योंकि इससे सुरक्षा का मसला जुड़ा हुआ है। ऐसे में आयातित सामान की जांच होगी, जब उनका आयात होगा। बिजली मंत्री ने कहा, ‘बिजली संबंधी बुनियादी ढांचे के माध्यम से साइबर हमलों को लेकर पर्याप्त सूचनाएं मिलती रही हैं। हर देश ने अपनी बिजली व्यवस्था की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं और हम भी उठाएंगे। आयात किए गए हर उत्पाद की जांच होगी।’
इसके अलावा पूर्व संदर्भ देशों की सूची होगी, जहां से किसी भी आयात के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
सिंह ने बिजली अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर विपक्ष शासित राज्यों की ओर से उठाई गई आपत्तियों को भी खारिज किया। बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, और केरल जैसे कुछ राज्यों ने मसौदा विधेयक का विरोध किया है। राज्यों ने बिजली सब्सिडी के प्रत्यक्ष नकदी अंतरण, राज्य बिजली नियामक आयोग और बिजली की लागत को लेकर सवाल उठाए हैं।
सिंह ने कहा, ‘हम जो सुधार करने जा रहे हैं, उससे बिजली की दरें कम होंगी। केंद्रीय बिजली उत्पादन कंपनियां कोयला और ढुलाई की बढ़ी दरों का बोझ उठा रही हैं। मेरिट ऑर्डर डिस्पैच के कारण बिजली वितरण कंपनियों की आपूर्ति लागत घटी है।’
डीबीटी के बारे में सिंह ने कहा कि यह राज्य सरकारों व वितरण कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि वितरण कंपनियों में सुधार बेहतर रहा है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत विशेष कर्ज योजना अतिरिक्त अभिदान मिला है। सिंह ने कहा, ‘राज्यों ने इस कर्ज योजान के तहत 93,138 करोड़ रुपये के करीब का अनुरोध किया है। इससे उन्हें बकाया चुकाने व आगे और सुधार में मदद मिलेगी।’