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आईएमएफ ने घटाया वृद्घि अनुमान

Last Updated- December 11, 2022 | 7:45 PM IST

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने ताजे वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्घि अनुमान को घटाकर 8.2 फीसदी कर दिया। इसके पीछे एजेंसी ने तर्क दिया है कि उच्च जिंस कीमतों का असर निजी खपत और निवेश पर पड़ेगा।
यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए आईएमएफ के जनवरी वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक अनुमानों के मुकाबले सबसे तीव्र कटौतियों में से एक है।
आईएमएफ ने कहा कि जिंस कीमत में उतार चढ़ाव और यूरोप में युद्घ के कारण आपूर्ति शृंखलाओं के बाधित होने से वैश्विक आर्थिक संभावनाएं बदतर स्थिति में पहुंच गई हैं। इनको मद्देनजर रखते हुए आईएमएफ ने कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए अपने वैश्विक वृद्घि आउटलुक को 4.4 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी कर दिया और कहा कि रूस और यूक्रेन की जीडीपी में भारी संकुचन आ सकता है।    
बहुपक्षीय संस्थाओं ने कैलेंडर वर्ष 2022 (भारत और कुछ अन्य देशों के मामले में वित्त वर्ष 2022-23) की जीडीपी वृद्घि अनुमान में कटौती की है। यह कटौती अमूमन सभी विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए की गई है।
आईएमएफ ने अपनी ताजा डब्ल्यूईओ रिपोर्ट में कहा, ‘2022 के अनुमान में उल्लेखनीय कटौती जापान के लिए 0.9 प्रतिशत अंक और भारत के लिए 0.8 प्रतिशत अंक की वजह कुछ हद तक कमजोर घरेलू मांग है। ऐसा इसलिए है कि आशंका जताई जा रही है कि तेल की उच्च कीमतों का असर निजी खपत और निवेश पर पड़ेगा।’
एजेंसी ने यह भी आंशका जताई है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत का चालू खाते का घाटा 3.1 फीसदी पर पहुंचा सकता है जो वित्त वर्ष 2022 में 1.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024 के लिए भी भारत के वृद्घि अनुमान को कम कर 6.9 फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले आईएमएफ ने अपनी जनवरी की रिपोर्ट में यह 7.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।    
बिजनेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि आईएफएफ भारत के लिए वित्त वर्ष 2023 के जीडीपी वृद्घि अनुमान को 9 फीसदी से कम कर 8-8.3 फीसदी करेगी। 8.2 फीसदी किए जाने के बावजूद भी यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सहित अन्य एजेंसियों के मुकाबले काफी अधिक है। रिजर्व बैंक ने इसी महीने वित्त वर्ष 2023 के लिए अपने वृद्घि अनुमान को 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था।      
आईएमएफ ने कहा कि उसकी जनवरी वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुकाबले अनुमान में कमी आई है जिसकी बड़ी वजह रूस द्वारा युद्घ के लिए यूक्रेन पर धावा बोला जाना है जिससे पूर्वी यूरोप में दयनीय मानवीय संकट पैदा हो गया है और रूस पर युद्घ समाप्त करने का दबाव बनाने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। यह संकट ऐसे समय पर उभरा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा था लेकिन यह कोविड-19 महामारी के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं आया था। 

First Published - April 20, 2022 | 12:48 AM IST

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