मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने आज वाहन विनिर्माताओं के संगठन सायम के अधिकांश सदस्यों के रुख की कड़ी आलोचना की। सायम के ज्यादातर सदस्यों ने कम वजन वाली छोटी कारों के लिए ईंधन दक्षता मानदंडों यानी कैफे नियमों में छूट देने वाले संशोधित मसौदे को खारिज कर दिया।
भार्गव ने कहा कि 63 फीसदी वाहन का उत्पादन करने वाली चार कार कंपनियों ने कैफे नियमों का समर्थन किया है क्योंकि यह देश के लिए अच्छा है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) द्वारा तैयार संशोधित मसौदे में छोटी कारों के लिए कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता (कैफे) मानदंडों में छूट दी गई है।
भार्गव ने कहा, ‘मारुति सुजूकी, ह्युंडै मोटर्स, टोयोटा किर्लोस्कर और होंडा ने कैफे के संशोधित मसौदे का समर्थन किया है। कुल कार उत्पादन में इन कंपनियों की हिस्सेदारी 63 फीसदी है। हालांकि इनमें से कई कंपनियों के पास छोटी या कम वजन वाली ज्यादा कारें नहीं हैं।’
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के संशोधित मसौदे में 1200 सीसी इंजन क्षमता और 4000 मिली मीटर लंबाई वाले 909 किलोग्राम तक के पेट्रोल वाहनों को वजन आधारित छूट दी गई है। मसौदे में कहा गया है कि उन्हें घोषित कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 3 ग्राम प्रति किमी की अतिरिक्त छूट का लाभ मिलेगा।
सायम ने बीईई को बताया कि वह इस मुद्दे पर आम सहमति नहीं बना पाया है और अंतिम निर्णय ऊर्जा दक्षता ब्यूरो पर छोड़ दिया है। भार्गव ने कहा कि संशोधित मसौदा एक अच्छी शुरुआत है, लेकिन पर्याप्त नहीं है।
भार्गव ने कहा कि मौजूदा नियमन त्रुटिपूर्ण है क्योंकि यह छोटी कारों के साथ भेदभाव करता है और बड़ी कारों को तरजीह देता है। हालांकि संशोधित मसौदे ने इसे कुछ हद तक कम कर दिया है। आप छोटी और हल्की कारों, जो किफायती हैं और आम लोगों के लिए हैं और बड़ी तथा महंगी कारें जो अमीरों के लिए हैं, के बीच भेदभाव नहीं कर सकते।
प्रस्तावित ढील वाले मानदंडों से देश की केवल 11 फीसदी वाहन आबादी को ही लाभ होगा। यह एक अच्छी शुरुआत है लेकिन अभी और काम करने की जरूरत है। कार के वजन पर आधारित मानदंडों की फिर से जांच करनी होगी। उन्होंने कहा कि यूरोपीय मानदंड भी बड़ी कारों के पक्ष में हैं मगर वहां ग्राहक उन्हें खरीदने में सक्षम हैं। भार्गव के अनुसार भारत में 2006 से सरकार की नीति छोटी, सस्ती कारों को प्रोत्साहित करने की रही है।